क्या गीता को लेकर उत्तराखंड सरकार के फैसले का स्वागत होना चाहिए? अरुण चतुर्वेदी

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क्या गीता को लेकर उत्तराखंड सरकार के फैसले का स्वागत होना चाहिए? अरुण चतुर्वेदी

सारांश

राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने उत्तराखंड सरकार के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें स्कूलों में गीता पढ़ाने का निर्णय लिया गया है। उनका मानना है कि गीता की शिक्षाएं सार्वभौमिक हैं और सभी धर्मों के बीच समन्वय को बढ़ावा देती हैं।

Key Takeaways

  • गीता की शिक्षाएं सार्वभौमिक हैं।
  • सभी धर्मों के बीच समन्वय को बढ़ावा देती हैं।
  • पश्चिम बंगाल में राजनीतिक स्थिति में चुनौतियाँ हैं।
  • बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार चिंता का विषय हैं।
  • अरावली मुद्दे पर कांग्रेस की राजनीति पर सवाल उठाए गए हैं।

जयपुर, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने उत्तराखंड सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसमें स्कूलों में गीता का शिक्षण शुरू किया जाएगा।

जयपुर में राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि गीता को किसी एक धर्म विशेष का ग्रंथ नहीं मानना चाहिए। गीता की शिक्षाओं के माध्यम से, यदि हम जीवन जीने की कला और कृष्ण के संदेश को समझें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इसका सार सार्वभौमिक है। यह सभी धर्मों में समन्वय, सबके साथ सहयोग और नैतिक मूल्यों पर बल देती है। इसके श्लोकों से हम नेकी, अच्छे विचारों, सभी धर्मों का सम्मान और साम्प्रदायिक सद्भाव के पाठ पढ़ सकते हैं। इस दिशा में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि कुछ मामलों में, एक व्यक्ति इस प्रकार से नेतृत्व करता है कि उसका ध्यान केवल अपने और अपने परिवार पर होता है, और वह केवल अपने निजी लाभ के लिए कार्य करता है। मेरा मानना है कि पश्चिम बंगाल में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण कुछ लोग अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि सभी समुदायों और धर्मों को शासन और नीति में शामिल किया जाए। दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने पिछले कुछ दशकों में जिस प्रकार की राजनीति की है, उसके आधार पर उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए तुष्टीकरण और वोट-बैंक की राजनीति को अपनाया है। इस तरीके के कारण उनकी आलोचना की गई है, जिसमें यह आरोप भी शामिल हैं कि उनके प्रशासन में अल्पसंख्यकों का शोषण हो रहा है और उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं।

बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर उन्होंने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि किसी भी क्षेत्र में जहाँ किसी समुदाय की जनसंख्या 70-85-80 प्रतिशत होती है, वहाँ हिंदुओं के लिए रहना कठिन हो जाता है। पहले पाकिस्तान में ऐसी स्थिति बनी थी। आज बांग्लादेश की स्थिति दर्शाती है कि वहाँ ज़्यादातर कट्टरपंथी मुसलमान निवास करते हैं। वहाँ सरकार द्वारा हिंदुओं पर किए गए अत्याचार इस क्षेत्र में कट्टरवाद को बढ़ावा देते हैं।

अरावली मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं के बयानों का जवाब देते हुए अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बिलकुल सही बात है कि कांग्रेस पार्टी अरावली के मुद्दे पर राजनीति कर रही है। इस विषय को उठाकर वे भ्रम फैलाना चाहते हैं; एक प्रतिशत को छोड़ दिया जाए तो 99 प्रतिशत में खनन नहीं हो सकता।

Point of View

जिसमें शिक्षा और धार्मिक सद्भाव का समावेश है। अरुण चतुर्वेदी का विचार यह है कि गीता की शिक्षाएं सभी धर्मों के लिए लाभकारी हैं। इससे हमारी सांस्कृतिक एकता को मजबूती मिलेगी।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

उत्तराखंड सरकार का क्या फैसला है?
उत्तराखंड सरकार ने स्कूलों में गीता पढ़ाने का निर्णय लिया है।
अरुण चतुर्वेदी ने गीता के बारे में क्या कहा?
अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि गीता को किसी एक धर्म का ग्रंथ नहीं मानना चाहिए, बल्कि इसकी शिक्षाएं सार्वभौमिक हैं।
ममता बनर्जी के बारे में अरुण चतुर्वेदी का क्या कहना है?
उन्होंने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह केवल अपने निजी लाभ के लिए काम कर रही हैं।
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