क्या असम बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया।
- बिना नोटिस के बुलडोजर कार्रवाई की गई।
- ६५० से अधिक लोग प्रभावित हुए।
- याचिका में नियमों के उल्लंघन का आरोप है।
- पीड़ित परिवारों के लिए राहत की मांग की गई।
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने असम के हसीला बीला गांव में हुई 'बुलडोजर कार्रवाई' पर राज्य के प्रमुख सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है। लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गुरुवार को इस मामले में सुनवाई की गई।
याचिकाकर्ताओं के वकील अदील अहमद ने बताया, "प्रशासन ने बिना नोटिस के बुलडोजर की कार्रवाई की थी। एक दिन की मोहलत भी नहीं दी गई। ६५० से ज्यादा लोगों पर इसका असर पड़ा। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। नियमों का उल्लंघन हुआ है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने नोटिस जारी किया है।"
पूरा मामला असम के ग्वालपाड़ा जिले के हसीला बील गांव का है। यहां कथित तौर पर अवैध अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद बुलडोजर एक्शन से प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की।
याचिका में आरोप लगाया गया कि असम सरकार की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के १३ नवंबर २०२४ के आदेशों की अवहेलना है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी, "पिछले ६० सालों से वो लोग हसीला बील इलाके में रह रहे हैं। वे विस्थापित लोग हैं, जिनके पूर्वज ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से अपनी जमीन खो चुके थे।"
प्रशासन ने १३ जून २०२५ को बेदखली का नोटिस जारी किया और १५ जून तक घर खाली करने को कहा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिना व्यक्तिगत नोटिस, सुनवाई या वैकल्पिक व्यवस्था दिए ६६७ परिवारों के घर और ५ स्कूल तोड़ दिए गए। याचिका में कहा गया कि स्कूलों को तोड़कर बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया गया। सरकार की तरफ से कोई पुनर्वास, मुआवजा या अस्थायी राहत भी नहीं दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा, पुनर्वास और स्कूलों के पुनर्निर्माण का निर्देश दिया जाए।