क्या असम में कांग्रेस नकारात्मक राजनीति कर रही है? : संजय निरुपम

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति असम में स्पष्ट है।
- राहुल गांधी के बयान का राजनीतिक महत्व है।
- कृषि योजना किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
- लोकतंत्र में हर पार्टी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
- महागठबंधन की राजनीति में ओवैसी का स्थान महत्वपूर्ण है।
मुंबई, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राहुल गांधी ने असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो हिमंत बिस्वा सरमा को जेल भेजा जाएगा। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के सीएम सरमा ने कहा कि राहुल खुद जमानत पर हैं और उनके खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। इस संदर्भ में शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि कांग्रेस असम में नकारात्मक राजनीति कर रही है।
शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि किसी भी राज्य में सरकार बनाने का उद्देश्य विकास और जनता का कल्याण होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस पार्टी, जिसका भविष्य संदेह में है, असम में नकारात्मक राजनीति कर रही है। हाल ही में राहुल गांधी ने असम में कार्यकर्ताओं से कहा कि उनकी सरकार आने पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को जेल भेजेंगे। क्या यह किसी सरकार का एजेंडा हो सकता है? सरकार का उद्देश्य सकारात्मक होना चाहिए, न कि बदले की भावना से प्रेरित। कांग्रेस की यह सोच असम में पूरी तरह विफल होगी और वे फिर चुनाव आयोग पर दोष लगाते नजर आएंगे।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्ताव पर निरुपम ने कहा कि बिहार में कांग्रेस, आरजेडी और तथाकथित सेक्युलर दलों का महागठबंधन है, जो हमेशा ओवैसी की पार्टी पर वोट काटने का आरोप लगाते हैं। लेकिन जब ओवैसी ने महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया, तो कांग्रेस और आरजेडी ने अहंकारवश उसे ठुकरा दिया। यह दर्शाता है कि वे बिहार को अपनी जागीर समझते हैं। यदि आप सच में सेक्युलर हैं तो सभी सेक्युलर पार्टियों को एक साथ लाना चाहिए। ओवैसी की पार्टी को रोकने का कोई अधिकार अब इनके पास नहीं है। लोकतंत्र में हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना पर निरुपम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य देश के अन्नदाता किसानों के जीवन में खुशहाली लाना है। क्योंकि यदि किसान सुखी रहेगा तो पूरा देश समृद्ध रहेगा। इसी सोच के तहत कृषि धन-धान्य योजना की शुरुआत की गई है, जिसके माध्यम से आम किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस योजना के तहत यह जानकारी सामने आई है कि लगभग 1.7 करोड़ किसानों को इस योजना की किस्त पहुंचाई जा चुकी है। यह पहल किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।