क्या आशा-ममता वर्कर्स के मानदेय पर सियासत तेज हो गई है?

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क्या आशा-ममता वर्कर्स के मानदेय पर सियासत तेज हो गई है?

सारांश

बिहार में 'आशा और ममता वर्कर्स' के मानदेय बढ़ाने की घोषणा ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए इसे नकलची और दृष्टिहीन बताया है। क्या यह मामला चुनावी राजनीति का हिस्सा है?

Key Takeaways

  • बिहार में आशा और ममता वर्कर्स का मानदेय बढ़ाने पर सियासत चल रही है।
  • तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को नकलची बताया।
  • सरकार को वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी करनी चाहिए।

पटना, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में 'आशा और ममता वर्कर्स' के मानदेय को बढ़ाने पर सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इन वर्कर्स के लिए मानदेय बढ़ाने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर तंज कसा है और इसका श्रेय अपनी पूर्ववर्ती पहल को दिया है।

तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार की सरकार को 'नकलची, थकी-हारी और दृष्टिहीन' बताया। उन्होंने दावा किया कि जब वे 17 महीने तक उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहे, उस दौरान आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी, लेकिन सरकार ने उस समय कोई निर्णय नहीं लिया।

तेजस्वी ने लिखा, 'मैंने 17 महीने स्वास्थ्य मंत्री रहते 'आशा और ममता वर्कर्स' की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की थी जो अंतिम स्टेज में थी, लेकिन तब सरकार और मुख्यमंत्री आदतन पलटी मार गए। ये निकम्मी एनडीए सरकार उस पर भी दो साल से कुंडली मार कर बैठी रही। अब आखिरकार इन्हें आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की हमारी इस मांग के सामने भी झुकना ही पड़ा।'

राजद नेता ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने यह मांग पूर्णरूपेण लागू नहीं की है। उन्होंने कहा कि वर्कर्स को प्रोत्साहन राशि नहीं, बल्कि मानदेय मिलना चाहिए और हम इन्हें मानदेय देंगे। तेजस्वी ने आगे कहा कि यह सरकार अब आंगनवाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं और रसोइयों के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को भी मजबूरन स्वीकार करने के लिए बाध्य होगी।

तेजस्वी ने अपने 17 महीने के कार्यकाल का हवाला देते हुए बताया कि उस दौरान विकास मित्र, शिक्षा मित्र, टोला सेवक, तालीमी मरकज और पंचायती राज प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया गया था। उन्होंने कटाक्ष करते हुए लिखा, 'हमारी मांगों, घोषणाओं, वादों, इरादों और दावों को देखकर इस नकलची, थकी-हारी, दृष्टिहीन और विजन रहित सरकार का डर देखकर अच्छा लगता है। ये डर अच्छा है, लेकिन 20 साल तक क्या ये मूंगफली छील रहे थे?'

उन्होंने सवाल पूछा, 'यही सरकार, इनके नेता-मंत्री और अधिकारी जो हमारी घोषणा का मखौल उड़ाते थे, वो अब सत्ता जाते देख दौड़ रहे हैं। सब कुछ तेजस्वी की ही नकल करोगे या अपनी भी अक्ल लगाओगे?'

Point of View

वर्कर्स के मानदेय का मुद्दा गंभीर है और इस पर चर्चा आवश्यक है। यह सही है कि सरकार को अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।
NationPress
31/07/2025

Frequently Asked Questions

आशा और ममता वर्कर्स कौन हैं?
आशा और ममता वर्कर्स वे स्वयंसेविकाएँ हैं जो स्वास्थ्य और मातृत्व सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
तेजस्वी यादव ने सरकार पर क्या आरोप लगाए?
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को नकलची और दृष्टिहीन बताया और कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया को रोका।
क्या वर्कर्स को मानदेय मिलेगा?
तेजस्वी यादव का कहना है कि वर्कर्स को प्रोत्साहन राशि नहीं, बल्कि मानदेय मिलना चाहिए।