क्या भाजपा विधायक अशोक मोहंती ने सैम पित्रोदा की आलोचना की, बोले- उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा विधायक अशोक मोहंती ने सैम पित्रोदा की आलोचना की।
- पित्रोदा की टिप्पणियाँ पाकिस्तान समर्थक मानी जा रही हैं।
- भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करनी चाहिए।
- अमेरिका की नई एच-1बी वीजा नीति पर भी चर्चा हुई।
- राष्ट्रीय गौरव और सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
भुवनेश्वर, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अशोक मोहंती ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान संबंधों पर सैम पित्रोदा की हालिया टिप्पणियों की तीव्र आलोचना की और कहा कि पित्रोदा की "मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।"
पित्रोदा ने यह सुझाव दिया था कि भारत को पाकिस्तान के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखने चाहिए और कहा कि जब भी वह पड़ोसी देश जाते हैं, तो उन्हें घर जैसा महसूस होता है।
विधायक मोहंती ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सैम पित्रोदा जबसे कांग्रेस से जुड़े हैं, तबसे उनकी "मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।" वह अपने देश की बजाय पाकिस्तान की प्रशंसा कर रहे हैं। राहुल गांधी भी सैम पित्रोदा की बातों से सहमत रहते हैं। जो देश भारत पर आक्रमण करता है और आतंकवादियों को भेजता है, वह कभी मित्र नहीं हो सकता। पित्रोदा का बयान देशहित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान राष्ट्रीय हित को कमजोर करते हैं और पाकिस्तान समर्थक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय नेताओं और नागरिकों को राष्ट्रीय गौरव और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और चेतावनी दी कि देश अपनी संप्रभुता को कमजोर करने वालों के प्रति नरमी नहीं बरत सकता।
मोहंती ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी प्रशासन की नई एच-1बी वीजा नीति पर भी टिप्पणी की, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को अब विदेशी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा प्राप्त करने के लिए सरकार को 100,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा, "ऐसी नीतियां अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की चुनौतीपूर्ण प्रकृति को दर्शाती हैं।" भारतीय पेशेवरों को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के प्रयास के साथ-साथ इन बाधाओं का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके नागरिकों और पेशेवरों को समर्थन मिले, साथ ही ऐसे बयानों और नीतियों के प्रति सतर्क रहना चाहिए जो राष्ट्रीय हितों से समझौता कर सकते हैं।