क्या अष्टांग लेह है? आठ प्रभावशाली जड़ी-बूटियों का मिश्रण जो शरीर को अंदर से रखे मजबूत
सारांश
Key Takeaways
- अष्टांग लेह में आठ शक्तिशाली जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं।
- यह शरीर की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
- थकान और कमजोरी से राहत प्रदान करता है।
- पाचन में सुधार करता है।
- स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अष्टांग लेह एक विशेष आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें आठ शक्तिशाली जड़ी-बूटियों का संयोजन होता है। इसका उपयोग शरीर की शक्ति को बढ़ाने, थकान को दूर करने, पाचन में सुधार करने और रोगों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
अष्टांग लेह में आंवला सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जो स्वाभाविक रूप से विटामिन सी से भरपूर होता है और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गिलोय शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है और रक्त को शुद्ध करती है।
शतावरी और अश्वगंधा शरीर को अंदर से पोषण देती हैं, जिससे ऊर्जा में वृद्धि होती है, तनाव कम होता है और मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर होती है।
विदारीकंद स्त्री-पुरुष दोनों के प्रजनन और हार्मोनल स्वास्थ्य में सुधार करता है। पिप्पली पाचन क्रिया को तेज करती है, भूख बढ़ाती है और औषधियों के अवशोषण को बेहतर बनाती है। वहीं हरीतकी कब्ज को दूर करने, त्वचा को साफ रखने और शरीर में जमा कचरे को निकालने में सहायक मानी जाती है। मुलेठी गले, फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर सुखद और सुरक्षा देने वाला प्रभाव डालती है।
इन सभी गुणों के कारण अष्टांग लेह का नियमित सेवन शरीर को मजबूत बनाने में अत्यधिक सहायक होता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो हमेशा थकान महसूस करते हैं, कमजोरी से परेशान रहते हैं, तनाव या मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं या बार-बार बीमार पड़ते हैं। यह पाचन को भी दुरुस्त रखता है, जिससे खाना ठीक से पचता है और शरीर को पूरा पोषण मिलता है। खांसी, गले की खराश या हल्की-फुल्की सांस की समस्या में भी यह आराम देने वाला माना जाता है।
इसके सेवन का पारंपरिक तरीका यह है कि इसे सुबह-शाम गुनगुने दूध या पानी के साथ थोड़ी मात्रा में लिया जाए, लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक दवा की तरह इसे भी वैद्य या डॉक्टर की सलाह से लेना ही सबसे सुरक्षित और लाभकारी माना जाता है।