क्या जोड़ों के दर्द से परेशान हैं? अश्वगंधा से पायें राहत
सारांश
Key Takeaways
- अश्वगंधा जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है।
- यह आयुष मंत्रालय द्वारा रामबाण बताया गया है।
- इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- यह तनाव और चिंता को भी कम करता है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे ही सर्दियाँ आती हैं, जोड़ों का दर्द और गठिया जीवन को कठिन बना देता है। सुबह उठते ही दर्द का अनुभव और रात की नींद में भी विघ्न डालना आम बात हो जाती है। घुटनों में दर्द और चलने-फिरने में कठिनाई होना अब सामान्य हो चुका है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियाँ हैं, जिनके सेवन से इन समस्याओं से राहत पाई जा सकती है।
इनमें से एक प्रमुख औषधि है अश्वगंधा, जो जोड़ों के दर्द और सूजन में बहुत प्रभावी मानी जाती है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा भी अश्वगंधा को गठिया के मरीजों के लिए रामबाण बताया गया है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक गुण गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। यह जोड़ों में सूजन और दर्द से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकता है।
आयुर्वेद में इसे रसायन द्रव्य माना गया है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को मजबूती के साथ-साथ ऊर्जा भी प्रदान करता है।
अश्वगंधा में विद्यमान विथानोलाइड्स जैसे तत्व एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर होते हैं, जो विशेषकर ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में प्रभावी होते हैं। नियमित सेवन से अन्य कई लाभ भी मिलते हैं।
यह तनाव और चिंता को कम करने में भी सहायक है क्योंकि यह कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करता है। नींद की समस्याओं में यह गहरी और आरामदायक नींद लाने में मदद करता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ाने से मांसपेशियों की ताकत और स्टैमिना में वृद्धि होती है। महिलाओं में यह हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और थायराइड की समस्याओं में भी सहायक होता है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करना, ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखना, याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाना, बालों का झड़ना रोकना और त्वचा में निखार लाना जैसे लाभ भी इसके सेवन से मिलते हैं। बुजुर्गों में यह कमजोरी दूर कर नई ताकत प्रदान करता है।
जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए अश्वगंधा एक सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक उपचार है। हालांकि, आयुर्वेदाचार्य सलाह देते हैं कि इसे चूर्ण, टेबलेट या काढ़े के रूप में डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और थायराइड की दवा लेने वाले मरीजों को बिना परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।