क्या असम का मामला देश के अन्य हिस्सों से भिन्न है? : हिमंत बिस्वा सरमा

सारांश
Key Takeaways
- असम का मामला देश के अन्य हिस्सों से अलग है।
- मतदाता सूची में संशोधन जनसांख्यिकीय घुसपैठ को नहीं रोक सकता।
- बेदखली अभियान के द्वारा 1.19 लाख बीघा भूमि अतिक्रमण मुक्त की गई है।
गुवाहाटी, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन किया जा रहा है। असम में भी जल्द ही विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। वहां पर भी मतदाता सूची में संशोधन की मांग जोर पकड़ रही है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इस संशोधन के खिलाफ हैं।
गुवाहाटी में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा, "मतदाता सूची में संशोधन से असम में अवैध प्रवासियों की जनसांख्यिकीय घुसपैठ को रोकने में सहायता नहीं मिलेगी, असम की स्थिति अलग है।"
उन्होंने बताया कि जिन लोगों को उपायुक्त द्वारा बेदखल किया गया था, उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। मतदाता सूची का संशोधन जनसांख्यिकीय घुसपैठ को रोकने में सक्षम नहीं है। असम में नागरिकता की सीमा 1951 नहीं, बल्कि 1971 है। असम का मामला देश के अन्य हिस्सों से अलग है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार के बेदखली अभियान के तहत 2021 से अब तक 1.19 लाख बीघा से अधिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है। यह असमिया-बहुल क्षेत्रों में प्रवासियों द्वारा राजनीतिक रूप से पांव जमाने की कोशिश को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा, बेदखली अभियान के दौरान यह देखा गया कि अतिक्रमणकारी अधिकतर वे लोग हैं जिनके अपने मूल जिलों में भूमि है, फिर भी वे राज्य के दूर-दराज के इलाकों में अवैध रूप से बसने के लिए चले जाते हैं। ये लोग राज्य के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाते हैं और नए इलाके में मतदाता के रूप में अपना नाम दर्ज कराते हैं।