क्या मणिपुर में असम राइफल्स ने अवैध प्रवासन पर नकेल कसने के लिए बायोमेट्रिक्स आधारित डेटाबेस तैयार किया?

सारांश
Key Takeaways
- बायोमेट्रिक डेटा से अवैध प्रवासन पर नियंत्रण संभव होगा।
- सरकार की नई पहल से सीमा सुरक्षा में वृद्धि होगी।
- भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का कार्य जल्द शुरू होगा।
- मणिपुर में 42,000 लोगों का डेटा एकत्र किया गया है।
- 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के तहत पूर्वोत्तर में विकास और सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
इंफाल, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेरा ने मणिपुर में अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए सरकार की नई पहल की जानकारी दी।
एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने फ्री मूवमेंट रेजिमेंट (एफएमआर) को और अधिक सख्त करने का निर्णय लिया है, जो पहले कभी लागू नहीं किया गया था। इसका उद्देश्य सीमा पार से आने वाले लोगों की सटीक जानकारी इकट्ठा करना और उनकी पहचान को औपचारिक रूप देना है।
लखेरा ने कहा कि 31 दिसंबर 2024 तक मणिपुर में सीमा पार से आने वाले करीब 42,000 लोगों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र किया गया है। इस डेटा में लोगों के उंगलियों के निशान, फोटो और अन्य पहचान संबंधी जानकारी शामिल है। यह डेटा आधार, यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ साझा किया गया है। इससे एक मजबूत डेटाबेस तैयार हुआ है, जो भविष्य में अवैध प्रवासन को रोकने में सहायक होगा।
उन्होंने आगे कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का कार्य जल्दी शुरू होगा। यह बाड़ अवैध प्रवासन और अन्य सीमा संबंधी चुनौतियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
लखेरा ने बताया कि डेटाबेस और बाड़ लगाने से असम राइफल्स के सीमा सुरक्षा में मजबूती आएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम न केवल मणिपुर, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा। यह अवैध प्रवासन पर नियंत्रण और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। असम राइफल्स की यह पहल क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
हालांकि, प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पहल को भारत सरकार की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों में विकास और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।