क्या असम राइफल्स को 'पूर्वोत्तर का मित्र' माना जाता है?

सारांश
Key Takeaways
- असम राइफल्स हर चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर है।
- यह बल मानवीय कार्यों में भी योगदान देता है।
- राज्यपाल ने जवानों को स्वर्ण और रजत पदक से सम्मानित किया।
- असम राइफल्स का आदर्श वाक्य 'पूर्वोत्तर के प्रहरी' है।
- यह बल पूर्वोत्तर के लोगों के लिए एक परिवार की तरह है।
ईटानगर, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) केटी. परनाइक ने सोमवार को कहा कि असम राइफल्स हर चुनौती का डटकर सामना करती है, चाहे वह कठिन भूभाग हो, कठिन जलवायु हो या अदृश्य खतरे, और अपने आदर्श वाक्य 'पूर्वोत्तर के प्रहरी' को गर्व और सम्मान के साथ कायम रखती है।
राज्यपाल ने 1974 से असम राइफल्स के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि असम राइफल्स त्याग, कर्तव्य और अटूट साहस की विरासत है।
उन्होंने सुरक्षा अभियानों से परे उनकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मानवीय कार्यों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आपदा राहत के माध्यम से दूरदराज के समुदायों में आशा की किरण जगाने के लिए असम राइफल्स की सराहना की।
उन्होंने सोमवार को ईटानगर स्थित राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित एक भव्य अलंकरण समारोह में असम राइफल्स के जवानों को राज्यपाल के स्वर्ण और रजत पदक प्रदान किए।
एक राइफलवुमन सहित असम राइफल्स के 21 जनरल ड्यूटी जवानों को राज्यपाल ने अभियानों और मानवीय मिशनों के दौरान उनके असाधारण साहस, कुशलता और नेतृत्व क्षमता के लिए सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों के दिलों में असम राइफल्स न केवल एक सुरक्षा बल है, बल्कि एक परिवार है, जिसे 'पूर्वोत्तर के मित्र' के रूप में सम्मान और श्रद्धा प्राप्त है। असम राइफल्स की वर्दी इतिहास और राष्ट्र की आशाओं का भार वहन करती है।
उन्होंने जवानों से सम्मान, बहादुरी और सहानुभूति के साथ सेवा करते रहने और लोगों के विश्वास के अडिग स्तंभ और संरक्षक बने रहने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने असम राइफल्स के डिप्टी कमांडेंट केशर सिंह बिष्ट, सूबेदार दीवान सिंह मेहरा, नायब सूबेदार मोहन सिंह, नायब सूबेदार सर्वेश्वर सैकिया, वारंट ऑफिसर बृज मोहन, हवलदार लेटखोंगम कुकी और राइफलमैन खांग फाओ गोसाक को राज्यपाल स्वर्ण पदक प्रदान किए।