क्या कुछ लोगों ने मजहबी जुनून और तुष्टिकरण के लिए अयोध्या को उपद्रव और संघर्ष का अड्डा बनाया?

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क्या कुछ लोगों ने मजहबी जुनून और तुष्टिकरण के लिए अयोध्या को उपद्रव और संघर्ष का अड्डा बनाया?

सारांश

अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने अयोध्या के इतिहास और विकास के बारे में चर्चा की और बताया कि कैसे अयोध्या को संघर्ष का केंद्र बनाया गया। इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे।

Key Takeaways

  • अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह आयोजित हुआ।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह ने इस समारोह में भाग लिया।
  • अयोध्या का विकास और इसकी सुरक्षा पर जोर दिया गया।
  • आंदोलन के पीछे की इतिहास और संघर्ष का महत्व बताया गया।
  • अयोध्या की भव्यता और दिव्यता को बनाए रखने की आवश्यकता है।

अयोध्या, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ बुधवार को श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री योगी ने अंग्रेजी नववर्ष 2026 की शुभकामनाएं देते हुए प्रार्थना की कि यह वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो।

सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या ने स्वतंत्र भारत में रामजन्मभूमि आंदोलन के कई पड़ाव देखे हैं। अयोध्या का नाम सुनते ही यह अहसास होता है कि यहां कभी युद्ध नहीं हुआ। कोई भी शत्रु यहां के शौर्य, वैभव और पराक्रम के सामने टिक नहीं पाया, लेकिन कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ और मजहबी जुनून के चलते अयोध्या को भी उपद्रव और संघर्ष का अड्डा बना दिया था।

सीएम योगी ने पूर्व सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिस अयोध्या में कभी संघर्ष नहीं होता था, वहां पूर्व सरकारों के शासन में आतंकी हमले हुए थे। अयोध्या को रक्तरंजित करने का प्रयास किया गया, लेकिन जहां प्रभु की कृपा बरसती है, वहां कोई आतंकी कैसे आ सकता था? 2005 में जैसे ही आतंकियों ने दुस्साहस किया, पीएसी के जवानों ने उन्हें तुरंत मार गिराया।

सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में तीन महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं, जिनसे इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। स्वतंत्र भारत में पहली बार 5 अगस्त 2020 को किसी प्रधानमंत्री ने अयोध्या में आकर श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री ने रामलला की भव्य मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को संपन्न किया। 25 नवंबर 2025 को विवाह पंचमी पर प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर सनातन धर्म की भगवा ध्वजा का प्रतिष्ठान किया।

सीएम योगी ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में राजनाथ सिंह की श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 500 वर्ष के बाद प्रभु रामलला का अयोध्या में विराजमान होना, उन्हें गौरव का अनुभव करा रहा है।

सीएम योगी ने कहा कि 2017 से पहले बिजली, पानी, स्वच्छता, सड़कें और सुरक्षा की स्थिति भी दयनीय थी। 'जय श्री राम' बोलने पर लोगों को लाठी और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब हर सनातन धर्मावलंबी यहां आकर अभिभूत हो रहा है। पिछले पांच वर्षों में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु अयोध्या आए हैं।

मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब हर जगह ‘जय श्री राम’ और 'राम-राम' कहने की स्वतंत्रता है। अब भारत सरकार की योजना ‘जी राम जी’ के नाम पर आ गई है। यह रोजगार की एक प्रमुख योजना बनने जा रही है।

उन्होंने 500 वर्ष के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि 1528 से लेकर 1992 तक और इसके बाद भी अयोध्या में हर 20-25 वर्ष में राम मंदिर को वापस लाने के लिए संघर्ष लगातार जारी रहा। यह आंदोलन तब सफल हुआ जब आरएसएस ने नेतृत्व किया।

सीएम योगी ने कहा कि आज प्राण-प्रतिष्ठा के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह समारोह आयोजित किया गया। अयोध्या की दिव्यता को बनाए रखने के लिए हर सनातन धर्मावलंबी को आगे बढ़ना होगा। यह यात्रा समाप्त नहीं हुई, बल्कि नई यात्रा की शुरुआत है।

Point of View

बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है। यहां के विकास और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि सभी समुदायों के बीच शांति और सद्भावना बनी रहे।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कब हुई?
अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 31 दिसंबर को 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के अवसर पर हुई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के बारे में क्या कहा?
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अयोध्या को कभी संघर्ष का अड्डा नहीं बनाना चाहिए था और इसे सुरक्षित रखना आवश्यक है।
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का महत्व क्या है?
यह आंदोलन भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की पहचान है, जो पिछले 500 वर्षों से चल रहा है।
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