क्या आप जानते हैं सौ समस्याओं का समाधान आयुर्वेद के इन पांच सिद्धांतों में है?
सारांश
Key Takeaways
- दिनचर्या का पालन करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
- ऋतुचर्या से मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।
- संतुलित आहार रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- सद्वृत्त मानसिक शांति प्रदान करता है।
- योग से शरीर और मन दोनों को मजबूत बनाया जा सकता है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की व्यस्त जीवनशैली में तनाव, अनिद्रा, और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का आना सामान्य हो गया है। लेकिन, कुछ सरल उपायों को अपनाकर इन समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक समग्र और सरल तरीका प्रस्तुत किया है।
मंत्रालय का मानना है कि आयुर्वेद से जीवनशैली को संतुलित किया जा सकता है और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसमें दिनचर्या, ऋतुचर्या, आहार, सद्वृत्त, और योग जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल हैं, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति स्वस्थ, ऊर्जावान, और रोग मुक्त रह सकता है। यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
मंत्रालय का कहना है कि इन सिद्धांतों को अपनाने से न केवल एक बल्कि कई लाभ प्राप्त होते हैं। आयुर्वेद रोगों को दूर करने में मदद करता है साथ ही जीवन को भी खुशहाल बनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों में बढ़ते तनाव और प्रदूषण के बीच ये उपाय विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देशों में इन सिद्धांतों को अपनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। पहले स्थान पर दिनचर्या आती है, जिसमें सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, स्नान करना और समय पर भोजन-सोना शामिल है। इससे शरीर की जैविक घड़ी संतुलित रहती है और ऊर्जा बनी रहती है।
मंत्रालय ऋतुचर्या का पालन करने की सलाह देता है, यानी मौसम के अनुसार जीवनशैली को बदलना। गर्मियों में ठंडी चीजें और सर्दियों में गर्म और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इससे मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है और शरीर में अनुकूलन हो सकता है। ठीक आहार का सेवन भी महत्वपूर्ण है, जिसमें संतुलित और सात्विक भोजन, ताजे फल, सब्जियां, और अनाज शामिल हैं। पाचन के अनुसार भोजन का चयन करना चाहिए, जैसे कि वात दोष के लिए हलका और गर्म भोजन। इससे पोषण मिलता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
मंत्रालय सद्वृत्त के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। इसमें नैतिक और मानसिक व्यवहार का पालन, सत्य बोलना, क्रोध पर नियंत्रण, दया, और संयम शामिल हैं। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव से मुक्ति दिलाता है।
मंत्रालय योग को सौ समस्याओं का समाधान मानता है। आसन, प्राणायाम, और ध्यान का नियमित अभ्यास लचीलापन, श्वसन पर नियंत्रण, और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है। यह शरीर को मजबूत बनाता है और ऊर्जा का प्रवाह सुचारू करता है।