क्या बाबरी मस्जिद को साजिश के तहत ध्वस्त किया गया? : वारिस पठान
सारांश
Key Takeaways
- बाबरी मस्जिद का ध्वंस भारत के लोकतंत्र पर प्रभाव डालता है।
- वारिस पठान ने इसे साजिश बताया।
- सुप्रीम कोर्ट ने इसे क्रिमिनल एक्ट माना।
- धार्मिक स्थलों पर राजनीति से बचना चाहिए।
- भारत की विविधता को संभालना आवश्यक है।
मुंबई, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने 6 दिसंबर 1992 की घटना को याद करते हुए कहा कि यह दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को साजिश के तहत ध्वस्त किया गया।
उन्होंने कहा कि जिस दिन बाबरी मस्जिद को गिराया गया, वह केवल एक धार्मिक संरचना पर हमला नहीं था, बल्कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक सिद्धांतों और कानून व्यवस्था की भावना पर भी प्रहार था।
वारिस पठान ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हम नहीं भूले हैं और न ही भूलेंगे कि बाबरी मस्जिद को किस तरह साजिश के तहत ध्वस्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि यह घटना एक क्रिमिनल एक्ट थी। लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, लेकिन आज तक किसी को सजा नहीं मिली। कोर्ट का फैसला आस्था के आधार पर आया, लेकिन अपराध तो अपराध ही रहता है।
तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने को लेकर पूछे गए सवाल पर पठान ने कहा कि धार्मिक स्थलों के निर्माण को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर कोई मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारा बनाता है, तो यह अच्छी बात है। ऐसे काम समाज में प्यार और सकारात्मकता फैलाते हैं। अगर कोई मस्जिद बन रही है तो किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग हर मुद्दे पर अनावश्यक सवाल उठाकर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि धार्मिक नामों के आधार पर भीड़ के आकार को लेकर की जाने वाली टिप्पणियां समाज में विभाजन पैदा करती हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद्गीता की प्रति भेंट करने पर भी वारिस पठान ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पुतिन एक बड़े वैश्विक नेता हैं और भारत में उनका स्वागत सकारात्मक संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि भारत विकास और आर्थिक प्रगति के रास्ते पर चल रहा है, और पुतिन जैसे नेताओं का दौरा दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करता है। प्रधानमंत्री ने गीता भेंट की, यह अच्छी बात है, लेकिन अगर इसके साथ कुरान, बाइबिल और अन्य धार्मिक ग्रंथ भी भेंट किए जाते तो यह भारत की विविधता और ‘सर्व धर्म समभाव’ की भावना को और मजबूत करता।