क्या बालासोर आत्मदाह मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ओडिशा कांग्रेस ने राज्य सरकार की आलोचना की?

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क्या बालासोर आत्मदाह मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ओडिशा कांग्रेस ने राज्य सरकार की आलोचना की?

सारांश

ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने बालासोर आत्मदाह मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया। क्या यह घटना सत्ताधारी पार्टी की विफलता को उजागर करती है? जानिए इस मामले की पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • भक्त चरण दास ने सरकार की विफलता को उजागर किया।
  • सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाया।
  • कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की है।
  • सरकार की असंवेदनशीलता से जनता का आक्रोश बढ़ा है।
  • राजनीतिक पहल के लिए बीजद को आगे आने की सलाह दी गई।

भुवनेश्वर, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने मंगलवार को बालासोर की लड़की के आत्मदाह मामले में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद राज्य की भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने इस घटना को शर्मनाक और सत्तारूढ़ सरकार की पूरी तरह से विफलता करार दिया।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी की सराहना करते हुए दास ने कहा, "यह ओडिशा के लोगों की भावनाओं को दर्शाता है और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करता है। जब सुप्रीम कोर्ट इतनी गंभीर चिंता व्यक्त करता है, तो सत्ता में बैठे लोगों को शर्म आनी चाहिए और तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो विपक्ष को इस सरकार को हटाने के लिए संवैधानिक कदम उठाने चाहिए।"

मीडिया से बातचीत करते हुए ओपीसीसी अध्यक्ष ने कहा, "कांग्रेस पिछले कई महीनों से महिलाओं के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रही है। मैंने पैदल यात्रा की है, जिलों में पदयात्राएं की हैं और ओडिशा की महिलाओं के दर्द और भय को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया है। बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और अत्याचारों ने जनता की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, फिर भी भाजपा सरकार अविचलित और बेपरवाह बनी हुई है।"

दास ने कहा, "देशव्यापी आक्रोश के बावजूद, एक भी जिम्मेदार मंत्री को जवाबदेह नहीं ठहराया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के ट्वीट का भी कोई मतलब नहीं है अगर उन पर कार्रवाई न की जाए। पीड़िता की मदद की गुहार का कोई जवाब नहीं मिला है। वह एक दलित परिवार से ताल्लुक रखती है, और स्थानीय पुलिस और अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उसके साथ दुर्व्यवहार किए जाने से उसकी पीड़ा और बढ़ गई।"

सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करते हैं। उनका बयान राज्य सरकार के लिए एक नैतिक दर्पण है। जब ऐसी संवैधानिक संस्थाएं चिंता व्यक्त करती हैं, तो सरकारों को आत्मचिंतन करना चाहिए, शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए और पद छोड़ देना चाहिए।"

एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम उठाते हुए दास ने ओडिशा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल, बीजू जनता दल (बीजद) से भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नेतृत्व करने की अपील की। उन्होंने कहा, "अगर बीजद इसका नेतृत्व करने को तैयार नहीं है, तो कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में, हम जनता को कष्ट सहते हुए चुप नहीं बैठेंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "हमें विश्वास है कि बीजद अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाएगा। अगर वे प्रस्ताव लाते हैं, तो कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम पहल करने के लिए तैयार हैं। यह राजनीति नहीं है, यह ओडिशा की आत्मा को बचाने के बारे में है।"

दास ने यह भी संकेत दिया कि अगर राज्य सरकार जनता के आक्रोश और सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती है, तो कांग्रेस आने वाले दिनों में अपने लोकतांत्रिक आंदोलन को तेज करेगी।

Point of View

यह घटना न केवल ओडिशा की राजनीति को प्रभावित करती है, बल्कि यह पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर भी सवाल उठाती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी सरकारें नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

बालासोर आत्मदाह मामला क्या है?
यह मामला एक लड़की के आत्मदाह से संबंधित है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
ओडिशा कांग्रेस का इस मामले में क्या रुख है?
ओडिशा कांग्रेस ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए भाजपा सरकार की आलोचना की है और अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की है।
क्या सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का कोई प्रभाव पड़ेगा?
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सरकार के लिए एक नैतिक दर्पण है और इसे आत्मचिंतन करने के लिए मजबूर कर सकती है।