क्या सर्दियों में संजीवनी बनफशा का काढ़ा कई रोगों की दवा है?
सारांश
Key Takeaways
- बनफशा का काढ़ा खांसी और जुकाम में राहत देता है।
- यह प्राकृतिक टॉनिक के रूप में काम करता है।
- सर्दियों में फेफड़ों की सेहत के लिए यह महत्वपूर्ण है।
- बच्चों को कम मात्रा में दिया जा सकता है।
- गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों में खांसी-जुकाम, गले में खराश और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं। ऐसे समय में आयुर्वेद की एक विशेष जड़ी-बूटी बनफशा बहुत लाभकारी साबित होती है। इसे सर्दियों की संजीवनी भी कहा जाता है, क्योंकि इसका काढ़ा इन समस्याओं में आराम प्रदान करता है।
छोटा सा खुशबूदार फूलों वाला यह पौधा देखने में साधारण लग सकता है, लेकिन इसके गुण अत्यधिक प्रभावी हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बनफशा को शीतल, मृदु और कफ-पित्त शामक माना गया है। इसके फूल और पत्तियों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसका रस मधुर और तिक्त, गुण लघु और स्निग्ध हैं। यह मुख्यतः कफ और पित्त दोष को संतुलित करता है। सूखी खांसी, गले की जलन और फेफड़ों में गर्मी जैसी समस्याओं में यह विशेष रूप से उपयोगी है।
सर्दियों में कफ बढ़ता है, जिससे खांसी और जुकाम होता है। बनफशा का काढ़ा बलगम को पतला कर बाहर निकालता है, गले को नमी प्रदान करता है और सूखी खांसी में ठंडक लाता है। आवाज बैठने पर भी यह आराम देता है।
बनफशा काढ़े के सेवन से कई लाभ मिलते हैं। यह सूखी और पुरानी खांसी में आराम देकर श्वसन नलिका को शांत करता है और कफ को ढीला करता है। गले की खराश और आवाज बैठने में भी यह फायदेमंद है। गायक या अधिक बोलने वालों के लिए यह एक प्राकृतिक टॉनिक के रूप में काम करता है। यह नाक और छाती की जकड़न को कम करता है और सर्दी-जुकाम से राहत देता है।
इसी तरह, लगातार खांसी के कारण होने वाली फेफड़ों की आंतरिक गर्मी को भी बनफशा शांत करता है। इसके औषधीय गुणों के कारण, कम मात्रा में यह बच्चों को भी दिया जा सकता है।
यह धूल या ठंडी हवा से होने वाली श्वसन नलिका की सूजन को कम कर एलर्जी वाली खांसी में राहत देता है। इसका रात में लिया गया काढ़ा खांसी कम करके नींद को बेहतर बनाता है।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि काढ़ा बनाने की विधि सरल है। इसके लिए एक छोटा चम्मच सूखी बनफशा लें, डेढ़ कप पानी में धीमी आंच पर उबालें। जब पानी एक कप रह जाए तो इसे छानें। गुनगुना होने पर शहद मिलाकर पिएं। दिन में 1-2 बार लेना पर्याप्त है।
बनफशा केवल खांसी की दवा नहीं, बल्कि फेफड़ों को कोमल बनाए रखने में भी सहायक है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे आवाज को मधुर बनाने वाली औषधि भी कहा गया है। यह गर्म दवाओं के साइड इफेक्ट को कम करने में भी मदद करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सावधानियाँ बरतना भी आवश्यक है। इसे अधिक मात्रा में न लें। गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए।