क्या सीएम योगी के निर्देशों के बाद बेसिक शिक्षा विभाग सख्त एक्शन मोड में है?

सारांश
Key Takeaways
- बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
- जर्जर भवनों की पहचान और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- सभी जिलों को निर्णायक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
लखनऊ, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़ी चेतावनी के बाद, बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में स्थित जर्जर भवनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, विभाग ने सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वे जर्जर ढांचों का तुरंत चिह्नांकन कर, सत्यापन, मूल्यांकन और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को शीर्ष प्राथमिकता दें।
यह निर्णय हाल ही में कुछ विद्यालय परिसरों में जर्जर भवनों की स्थिति उजागर होने के बाद लिया गया है, जिससे बच्चों की जान और विभाग की छवि दोनों को खतरा हुआ है। अब विभाग का ध्यान है, 'सुरक्षा, जवाबदेही और त्वरित कार्रवाई।'
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। यदि किसी जर्जर भवन के गिरने या किसी प्रकार की दुर्घटना की जानकारी मिलती है, तो संबंधित अधिकारी को सीधे उत्तरदायी मानते हुए उसके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
प्राप्त सूचनाओं के आधार पर, जर्जर भवनों की स्थिति को देखते हुए, प्रत्येक जनपद में जर्जर ढांचों का तुरंत चिह्नांकन किया जाएगा और तकनीकी समिति को सत्यापन एवं मूल्यांकन हेतु सूची सौंपी जाएगी। यह कार्य समयबद्धता के साथ करना संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी। पूर्व में चिह्नित ढांचों के शीघ्र सत्यापन एवं रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
तकनीकी समिति द्वारा जर्जर घोषित किए गए भवनों में किसी भी प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित नहीं की जाएंगी। विद्यार्थियों के पठन-पाठन की उचित व्यवस्था अन्य सुरक्षित कक्षों, विद्यालय भवनों, पंचायत भवनों या ग्राम सचिवालय में कराना अनिवार्य होगा।
यदि किसी कारणवश जर्जर ढांचों को तुरंत ध्वस्त नहीं किया जा सकता, तो ऐसे भवनों की चारों दीवारों पर 'निष्प्रयोज्य' या 'प्रवेश निषेध' लिखवाना अनिवार्य होगा। साथ ही उन्हें चिनाई कर पूर्ण रूप से सील करने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों की पहुँच उस स्थान तक न हो सके।
विद्यालय भवनों की छतों पर जलजमाव, पत्तों और कचरे के कारण सीलन की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे भवन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में नगर पंचायत/ग्राम पंचायत के माध्यम से छतों की नियमित सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी।
विशेषज्ञ निर्माण यूनिट के श्यामकिशोर तिवारी ने कहा कि कई विद्यालय परिसरों में अब भी ऐसे ढांचे मौजूद हैं, जो अत्यंत जर्जर हो चुके हैं और कभी भी गिर सकते हैं। इससे बच्चों और शिक्षकों की जान को गंभीर खतरा बना रहता है। हालाँकि, शासन स्तर से इस संबंध में पूर्व में कई निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन हाल ही में कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित तस्वीरों ने विभाग की छवि को प्रभावित किया है। ऐसे में अब समयबद्ध, प्रभावी और ठोस कार्रवाई अनिवार्य हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग का यह कदम विद्यालय परिसरों की भौतिक सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा और परिषदीय विद्यालयों के प्रति समाज में विश्वास को भी सुदृढ़ करेगा।