क्या बाटला हाउस एनकाउंटर में शहीद हुए थे मोहनचंद शर्मा, जिन्हें 7 बार मिला राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार?

सारांश
Key Takeaways
- मोहनचंद शर्मा ने अपने जीवन में 20 वर्षों की सेवा की।
- उन्हें 7 बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिला।
- बाटला हाउस एनकाउंटर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को नया मोड़ दिया।
- इस एनकाउंटर में दो अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
- आरिज खान को बाद में आजीवन कारावास की सजा मिली।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में वर्ष 2008 में प्रसिद्ध बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ था, जिसमें दिल्ली पुलिस के साहसी इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा शहीद हो गए थे। इस मामले में अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया था। आइए जानते हैं कि शहीद मोहनचंद शर्मा कौन थे?
19 सितंबर 2008 को साउथ दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में कार्यरत इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में दो अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। बाटला हाउस एनकाउंटर के नायक ने आतंकियों से बहादुरी से मुकाबला किया।
मोहनचंद शर्मा का जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन उनका मूल गांव उत्तराखंड के तिमिलखाल में है, जहां उनकी याद में शहीद दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1989 में वे दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर बने और अपने 20 वर्षों की सेवा में उन्हें सात बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए 150 बार सम्मानित किया गया।
बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में दिल्ली कोर्ट ने आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। 2008 में दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश की अदालतों में हुए विस्फोटों में आरिज मुख्य साजिशकर्ता था, जिसमें 165 लोगों की जान गई और 500 से अधिक लोग घायल हुए।
दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के कुछ दिन बाद बाटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ के दौरान आरिज और शहजाद अहमद भाग गए, जबकि उनके दो साथी आतीफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे। उत्तर प्रदेश से शहजाद को जनवरी 2010 में गिरफ्तार किया गया और आरिज खान को फरवरी 2018 में आमज़गढ़ से पकड़ा गया। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 15 मार्च 2021 को आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई थी।