क्या बैटरी स्टोरेज की लागत में बड़ी गिरावट आई है?
सारांश
Key Takeaways
- बैटरी स्टोरेज की लागत में उल्लेखनीय गिरावट हुई है।
- सरकार ने बैटरी स्टोरेज की लागत को और कम करने के लिए योजनाएं बनाई हैं।
- यह नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति का संकेत है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार में सहायक बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) की लागत देश में तेजी से घट रही है और यह अब 2 रुपए प्रति यूनिट के करीब पहुंच गई है।
सरकार का कहना है कि इसका प्रमुख कारण घटती लागत और मजबूत सरकारी समर्थन हैं।
विद्युत मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में बैटरी स्टोरेज की लागत लगभग 10.18 रुपए प्रति यूनिट थी, जब बैटरियों का उपयोग हर दिन दो बार किया जाता था।
मंत्रालय ने आगे कहा कि हाल में आयोजित निविदाओं में बिना किसी सरकारी सब्सिडी के यह लागत घटकर 2.1 रुपए प्रति यूनिट हो गई। हालांकि, वर्तमान बाजार प्रवृत्तियों को देखते हुए, अनुमान है कि बैटरियां औसतन रोजाना 1.5 बार उपयोग की जाएंगी।
इस स्तर पर बैटरी स्टोरेज की लागत लगभग 2.8 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाएगी, जो कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं की उत्पादन कीमत के करीब है, जो कि 2.5 रुपए प्रति यूनिट के आस-पास है।
यह कीमत दर्शाती है कि बैटरी स्टोरेज अब नवीकरणीय ऊर्जा के साथ-साथ अधिक प्रतिस्पर्धी और व्यावहारिक बन रही है।
सरकार ने बैटरी स्टोरेज की लागत को और कम करने के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की हैं। ऊर्जा मंत्रालय ने वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) योजना के तहत 13,220 मेगावाट घंटे की बैटरी स्टोरेज क्षमता स्थापित करने के लिए 3,760 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है।
इसके अतिरिक्त, जून 2025 में एक नई वीजीएफ योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत 30 गीगावाट घंटे की बैटरी स्टोरेज क्षमता का विकास होगा, जिसे पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड से 5,400 करोड़ रुपए की सहायता मिलेगी।
मंत्रालय के अनुसार, बैटरी स्टोरेज की लागत में आई यह गिरावट भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति की ओर इशारा कर रही है। सरकार के प्रयासों और समर्थन के चलते बैटरी स्टोरेज अब और अधिक सस्ती और प्रतिस्पर्धी हो रही है, जो भविष्य में ऊर्जा की स्थिरता और कीमतों में कमी लाएगी।