क्या यूपी का जल प्रबंधन और हरित आवरण उसे पहचान दिलाने में मदद करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- जलवायु सहिष्णु हरित अवसंरचना का विकास
- स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में वृद्धि
- जल सुरक्षा और भूजल स्तर में सुधार
- स्थानीय समस्याओं का समाधान
- आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ जीवन
लखनऊ, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश को एक उत्कृष्ट प्रदेश में बदलने के लिए प्रयासरत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार विजन 2047 के अंतर्गत एक व्यापक कार्ययोजना पर कार्य कर रही है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के नगरीय आवासीय क्षेत्रों को स्वच्छ, सुरक्षित, हरित और जलवायु अनुकूल बनाया जा रहा है।
इस योजना के तहत, प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों के मोहल्लों को जलवायु और पर्यावरण समावेशी स्वरूप में लाने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि आम नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर, शुद्ध हवा, सुरक्षित जलापूर्ति और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो सके। प्रदेश सरकार का उद्देश्य शहरी विकास को केवल सड़कों और भवनों तक सीमित नहीं रखना, बल्कि इसे पर्यावरण संतुलन और जनस्वास्थ्य से भी जोड़ना है। यह कार्ययोजना दो प्रमुख आधारों पर केंद्रित है- पहला, जलवायु सहिष्णु हरित अवसंरचना का विस्तार, वहीं दूसरे घटक के तौर पर जल सुरक्षा और पारिस्थितिकीय संतुलन को मजबूत करने पर जोर है। इन्हीं दो स्तंभों के माध्यम से प्रदेश के शहरी आवासीय क्षेत्रों का व्यापक कायाकल्प किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। योजना के अनुसार, प्रत्येक नगरी क्षेत्र के लिए सिटी सेंट्रिक क्लाइमेट एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके माध्यम से वर्षा, तापमान, जलभराव, वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन जैसी स्थानीय जलवायु संकटों का आकलन कर उनके समाधान लागू किए जाएंगे।
कार्ययोजना के अनुसार, नगरीय हरित आवरण को लेकर कई पहलों को बड़े पैमाने पर क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अंतर्गत, नगरों में पार्क, हरित पट्टियां, हरित गलियारे और खुले हरित क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, जिससे आवासीय इलाकों में शुद्ध हवा, तापमान संतुलन और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार हो सके। साथ ही, मोहल्ला स्तर पर जलवायु नियोजन को लागू किया जाएगा, ताकि स्थानीय समस्याओं जैसे जलभराव, बाढ़, अत्यधिक गर्मी और प्रदूषण की नियमित मॉनिटरिंग कर वास्तविक समय में कार्ययोजना को लागू किया जा सके।
इस योजना का दूसरा मुख्य उद्देश्य जल सुरक्षा और इकोलॉजिकल सस्टेनेबिलिटी यानी पारिस्थितिकीय सततता को सुदृढ़ करना है। इसके तहत शहरों के तालाबों, झीलों और जलाशयों के पुनरुद्धार की योजनाएं लागू की जाएंगी, ताकि वर्षभर जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। वर्षा जल संचयन को प्रत्येक आवासीय क्षेत्र में विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि भूजल स्तर में सुधार लाया जा सके।
प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण के लिए विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली विकसित करने पर ध्यान दिया जा रहा है। कार्ययोजना के अनुसार, मोहल्ला स्तर पर कचरे के पृथक्करण, प्रसंस्करण और निस्तारण की व्यवस्था लागू होगी, जिससे स्वच्छता को एक स्थायी आधार मिलेगा, पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा और प्रदूषण में कमी आएगी।
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार का मानना है कि इन सभी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन से उत्तर प्रदेश के नगरीय आवासीय क्षेत्र न केवल पर्यावरण के अनुकूल बनेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ, सुरक्षित और स्वच्छ जीवन की एक मजबूत नींव तैयार करेंगे, जो देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक रोल मॉडल बनेगा।