क्या 'वंदे मातरम' पर बहस चुनावी रणनीति है? प्रियंका गांधी वाड्रा का सवाल
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का राजनीतिक संदर्भ
- चुनावों की रणनीति
- स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान
- प्रधानमंत्री मोदी की भाषण कला
- राष्ट्रीय भावना का महत्व
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर एक विशेष चर्चा हो रही है। इस दौरान केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार वंदे मातरम पर आज बहस इसलिए कराना चाहती है क्योंकि पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि यह गीत आधुनिक राष्ट्रवाद की भावना को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि यह बहस अजीब महसूस होती है। उनका सवाल था कि 75 साल से देश स्वतंत्र है, तो वंदे मातरम पर चर्चा आज क्यों की जा रही है?
उन्होंने आगे कहा कि इस बहस के पीछे दो मुख्य उद्देश्य हैं। पहला, चुनावी कारण है, क्योंकि अगले साल पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं। इससे प्रधानमंत्री अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं। दूसरा उद्देश्य यह है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में बलिदान देने वालों पर नए आरोप लगाने का मौका सरकार चाहती है। यह सब करते हुए सरकार जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छे भाषण देते हैं, लेकिन तथ्यों के मामले में कमजोर साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि मैं जनता की प्रतिनिधि हूं, कोई कलाकार नहीं।
उन्होंने कहा कि जिस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं, वह केवल एक टॉपिक नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा का हिस्सा है। हमारा राष्ट्रीय गीत उसी भावना का प्रतीक है। यह उन लोगों को जागृत करता है जो गुलामी की जंजीरों में थे। वंदे मातरम का नाम लेते ही हमें अपना पूरा इतिहास याद आ जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह बहस हमारे कर्तव्यों के बारे में है। हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि हम उन लोगों के प्रति कैसे जिम्मेदार हैं, जिन्होंने हमें इस पद पर बिठाया।