क्या वंदे मातरम भारत की आजादी और स्वाभिमान का मंत्र है?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है।
- यह गीत हिंदुस्तानियों के लिए जोश का स्रोत है।
- इसका 150वां जश्न गर्व का पल है।
- प्रधानमंत्री का भाषण भावनात्मक था।
- यह भारत की आत्मा है।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता बीडी शर्मा ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे भारत की आजादी का मंत्र और देश का स्वाभिमान बताया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि इसी मंत्र ने हिंदुस्तानियों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का साहस दिया।
उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि इस खास मौके पर हमारा लोकतंत्र दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है। वंदे मातरम भारतीयों के लिए जोश और जज्बे का स्रोत है।
भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने इसे भारत की आत्मा बताते हुए कहा कि इसी के आधार पर देश की आजादी का संघर्ष लड़ा गया। उन्होंने कहा कि यह गीत हिंदुस्तानियों को आजादी की प्रेरणा देता रहा है। आज जब वंदे मातरम के 150 साल पूरे हुए हैं, यह हम सभी के लिए गर्व का पल है।
उन्होंने प्रधानमंत्री के संबोधन को सुनकर भावुकता की बात करते हुए कहा कि यह सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और मन में देशभक्ति का जज्बा जाग उठा।
भाजपा सांसद हर्ष मल्होत्रा ने इसे भारत की अस्मिता का प्रतीक बताया और कहा कि स्वाधीनता की लड़ाई में वंदे मातरम ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत बन गया। 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र बनेगा, तब भी यह गीत समृद्धि का प्रतीक बना रहेगा।
महबूबा मुफ्ती के बयान पर उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र अपने गौरव को नहीं याद करता, उसका पतन निश्चित है।