क्या घुटने के चटकने पर आवाज आना सामान्य है? कब समझें यह गंभीर संकेत?
Key Takeaways
- घुटने का चटकना सामान्य है और आमतौर पर हानिरहित होता है।
- यह आवाज आमतौर पर गैस बुलबुलों के टूटने के कारण होती है।
- दर्द या सूजन के साथ आवाज को गंभीरता से लेना चाहिए।
- व्यायाम करने से जोड़ों की आवाज कम होती है।
- सही पोषण और जलयोजन से भी मदद मिलती है।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब हमारे जोड़ अचानक टक या कड़क की आवाज करते हैं, तो यह एक ऐसा अनुभव है जिसे लगभग हर व्यक्ति ने कभी न कभी अनुभव किया है। उंगलियों के क्रैक से लेकर घुटनों, टखनों, गर्दन या पीठ में होने वाली आवाजें! लोग इसे कभी थकान का संकेत मानते हैं, कभी कमजोरी का, और कई बार इसे किसी गंभीर बीमारी का प्रारंभिक संकेत भी समझ लेते हैं। लेकिन आधुनिक हेल्थ रिसर्च यह बताती है कि जोड़ का हर चटकना बीमारी का संकेत नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई रोचक वैज्ञानिक कारण होते हैं।
जोड़ों की यह आवाज उन स्थानों पर अधिक सुनाई देती है जहां हड्डियां आपस में रगड़ती नहीं हैं, बल्कि उनके बीच एक मुलायम सिनोवियल फ्लूइड होता है। जब हम अचानक किसी जोड़ को खींचते हैं या मोड़ते हैं, तो उसके भीतर मौजूद गैस के छोटे-छोटे बुलबुले तेजी से टूटते हैं। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक कैविटेशन कहते हैं, और इसी बुलबुले के फटने से यह तेज आवाज उत्पन्न होती है। कई एमआरआई-आधारित अध्ययनों में यह स्पष्ट हुआ है कि उंगलियों या घुटने के चटकने के बाद जोड़ के अंदर बनने-फटने वाले गैस बुलबुलों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे यह सिद्ध होता है कि आवाज हड्डियों के टकराने से नहीं बल्कि इस रासायनिक-भौतिक प्रक्रिया से आती है।
फिर यह सवाल उठता है कि क्या उंगलियों या घुटने को बार-बार चटकाना हानिकारक है? पिछले दो दशकों में कई रिसर्च में पाया गया है कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसा करने से गठिया जैसी बीमारी नहीं होती। अब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि उंगलियों को सुबह-शाम चटकाने से जोड़ घिसते हैं या हड्डियां कमजोर होती हैं। हां, बार-बार तेजी से या जोर लगाकर ऐसा करने से आसपास के लिगामेंट और टिशू थोड़े ढीले हो सकते हैं, जिससे कुछ लोगों को हल्का दर्द, जकड़न या अस्थायी सूजन महसूस हो सकती है।
घुटने विशेष रूप से चटकने के कारण चर्चा में रहते हैं क्योंकि घुटना शरीर का सबसे जटिल और अधिक उपयोग किए जाने वाले जोड़ में से एक है। उम्र बढ़ने, मांसपेशियों की कमजोरी, मोटापे या लंबे समय तक बैठने से घुटने के जोड़ की क्रियाएँ कुछ हद तक अनियमित हो जाती हैं। कभी-कभी यह आवाज इसलिए होती है कि टेंडन या लिगामेंट अपनी जगह से हल्का-सा फिसलते हुए वापस लौटते हैं, जिससे पॉप जैसी ध्वनि उत्पन्न होती है। यह सामान्य है और दर्द न होने पर इसे आमतौर पर किसी बीमारी का संकेत नहीं माना जाता। लेकिन यदि आवाज के साथ दर्द, सूजन, लॉकिंग या चलने में असहजता महसूस हो, तो यह कार्टिलेज की क्षति, मेनिस्कस की समस्या या शुरुआती ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत हो सकता है, जिसकी जांच करवाना आवश्यक होता है।
2018 में अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने नॉइज अराउंड दे नीज पर एक रिसर्च किया। 40 साल से अधिक उम्र के लोगों पर अध्ययन में पाया गया कि घुटने में आवाज के फैलने की कुछ सिस्टमैटिक रिपोर्ट्स में ये आंकड़े सामने आए: 38.1 प्रतिशत महिलाओं के मुकाबले महज 17.1 प्रतिशत पुरुषों के घुटने चटकते हैं।
कई नवीनतम अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि जिन लोगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जो नियमित रूप से स्ट्रेचिंग या हल्की कसरत करते हैं, उनमें जोड़ की आवाजें अपेक्षाकृत कम होती हैं। पर्याप्त पानी पीना, कैल्शियम-विटामिन डी का संतुलित स्तर और अधिक समय तक एक ही मुद्रा में न बैठना भी इस समस्या को कम कर सकता है। जब शरीर गर्म होता है या बेहतर ब्लड सर्कुलेशन में आता है, तो सिनोवियल फ्लूइड अधिक लचीला हो जाता है, और जोड़ स्थिरता के साथ मूव करते हैं।
इस प्रकार जोड़ों का चटकना मानव शरीर का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसका अधिकांश हिस्सा पूरी तरह से हानिरहित है। विज्ञान यह बताता है कि यह आवाज एक जटिल लेकिन सामान्य बायोमैकेनिकल घटना है। इसे घुटनों के कमजोर होने या हड्डियों के टूटने का संकेत समझने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि इसके साथ दर्द या सूजन न हो।