क्या कुमारस्वामी ने स्कूलों में गीता पाठ की वकालत की है, युवाओं में बढ़ती नशाखोरी इसका कारण है?

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क्या कुमारस्वामी ने स्कूलों में गीता पाठ की वकालत की है, युवाओं में बढ़ती नशाखोरी इसका कारण है?

सारांश

केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने स्कूलों में भगवद्गीता को शामिल करने के सुझाव का समर्थन किया है। उन्होंने नशाखोरी की समस्या को देखते हुए इसे नैतिक मूल्यों के विकास का माध्यम बताया। क्या यह कदम युवाओं को सही दिशा में ले जा सकेगा? जानें इस पर विस्तार से।

Key Takeaways

  • गीता का अध्ययन युवाओं में नैतिकता को बढ़ावा दे सकता है।
  • कुमारस्वामी ने नशाखोरी की समस्या को गंभीरता से लिया है।
  • गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक मूल्य-आधारित शिक्षा का स्रोत है।
  • स्कूलों में गीता को शामिल करने का समर्थन विभिन्न समुदायों द्वारा किया गया है।
  • नशा मुक्त समाज के लिए शिक्षा में सुधार आवश्यक है।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद्गीता को सम्मिलित करने के सुझाव पर चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं। इस बीच, केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को अपने बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में बढ़ती नशाखोरी को देखते हुए नैतिक मूल्यों और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए गीता का अध्ययन आवश्यक है।

दिल्ली में अपने आवास कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान कुमारस्वामी ने कहा, “कर्नाटक में, विशेषकर बेंगलुरु के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। रेव पार्टियों में रातभर ड्रग्स का वितरण किया जा रहा है। युवाओं को इस खतरनाक रास्ते से बचाने के लिए मैंने सुझाव दिया है कि स्कूलों में बच्चों को भगवद्गीता पढ़ाई जानी चाहिए। इसमें क्या गलत है?”

उन्होंने स्पष्ट किया कि गीता सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी बच्चों के लिए पढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि यह एक मूल्य-आधारित और स्वस्थ समाज निर्माण में मददगार हो सकती है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री एच.सी. महादेवप्पा की आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कुमारस्वामी ने कहा, “क्या अच्छे विचार व्यक्त करना, सही सोच को बढ़ावा देना और बच्चों में सकारात्मक मूल्य डालना मनुवाद कहलाता है? क्या शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर गीता पढ़ाने का अनुरोध करना कोई अपराध है?”

कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने गीता, रामायण और महाभारत का अध्ययन किया है और महात्मा गांधी भी भगवद्गीता से प्रेरित थे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गीता के 63वें श्लोक का पाठ भी किया।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक तेजी से ड्रग तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है और नशा युवाओं को भटका रहा है। उन्होंने बताया, “ड्रग्स स्कूल-कॉलेजों के आसपास खुलेआम बेचे जा रहे हैं। यहां तक कि पुलिसकर्मियों के अपराध में शामिल होने की खबरें भी आई हैं। मंत्री महादेवप्पा को यह सोचने की आवश्यकता है कि ऐसी स्थिति क्यों बनी।”

कुमारस्वामी ने बताया कि भगवद्गीता शांति, अनुशासन और आत्मसंयम का संदेश देती है और व्यक्तित्व विकास में भी सहायक है। उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि किसी को मनुवादी बनने की सलाह दी जाए। मैंने केवल यह कहा कि गीता अच्छे संस्कार प्रदान करती है। फिर इसे तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने की क्या आवश्यकता है?”

उन्होंने यह भी बताया कि शिवमोग्गा में आयोजित एक गीता जागरूकता कार्यक्रम में संतों, विद्वानों और अभिभावकों ने गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का समर्थन किया था, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा।

उन्होंने अंत में पूछा, “क्या मैंने कभी कहा कि बच्चों को संविधान के बारे में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए?”

Point of View

इसे एक धर्म विशेष से जोड़ने की बजाय एक सामान्य शिक्षा के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नशामुक्त समाज के लिए प्रयास किए जाएं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

कुमारस्वामी ने गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का क्यों समर्थन किया?
उन्होंने बढ़ती नशाखोरी की समस्या को देखते हुए युवाओं में नैतिक मूल्यों के विकास के लिए गीता के अध्ययन को आवश्यक बताया।
क्या गीता केवल हिंदू धर्म के लिए है?
कुमारस्वामी ने कहा कि गीता सभी बच्चों के लिए है और यह एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक हो सकती है।
क्या गीता का अध्ययन नशाखोरी को कम कर सकता है?
कुमारस्वामी का मानना है कि गीता का अध्ययन युवाओं को सकारात्मक सोच और नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित कर सकता है।
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