क्या महाराष्ट्र के इस मंदिर में हल्दी की होली खेली जाती है?

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क्या महाराष्ट्र के इस मंदिर में हल्दी की होली खेली जाती है?

सारांश

महाराष्ट्र के जेजुरी का खंडोबा मंदिर हर दिसंबर भक्तों के लिए एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बन जाता है, जहां हल्दी की होली खेली जाती है। इस पौराणिक स्थान पर भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा होती है। जानें इस मंदिर की रोचक मान्यताएं और विशेषताएं।

Key Takeaways

  • खंडोबा मंदिर में हर साल हल्दी की होली खेली जाती है।
  • भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा होती है।
  • राक्षस मणि के दर्शन के बिना दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
  • 42 किलो की तलवार उठाने की प्रतियोगिता का आयोजन होता है।
  • यहां विवाह और संतान सुख की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर में हर साल दिसंबर के महीने में भक्त हल्दी की होली का आयोजन करते हैं। भक्त दूर-दूर से भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा के लिए आते हैं। मान्यता है कि भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन तब तक अधूरे माने जाते हैं, जब तक भक्त राक्षस मणि के दर्शन नहीं कर लेते।

इसके पीछे एक पुरानी पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा पृथ्वी का निर्माण कर रहे थे, तब उनके पसीने की बूंद से मल्ल और मणि राक्षसों का जन्म हुआ। इन दोनों राक्षसों ने मिलकर धरती पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया और कई निर्दोष लोगों को मार डाला।

इस संकट के समय भक्तों ने भगवान शिव से मदद की प्रार्थना की। अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शिव खंडोबा या मार्तंड भैरव के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपनी तलवार से मल्ल राक्षस का वध किया। अपने भाई की मृत्यु से दुखी मणि ने भगवान शिव के सामने आत्मसमर्पण किया और क्षमा मांगी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर मणि को क्षमा किया और उसे अपने मंदिर में स्थान दिया।

खंडोबा मंदिर में भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा होती है। यह भगवान शिव का अनोखा योद्धा रूप है जिसमें उनके हाथ में एक बड़ी तलवार है। मार्तंड भैरव घोड़े पर सवार होकर भक्तों की रक्षा के लिए उपस्थित रहते हैं। भगवान शिव के इस स्वरूप की गिनती उनके उग्र रूपों में होती है, जो बुरी शक्तियों को नष्ट करते हैं।

यहाँ शत्रुओं पर विजय पाने के उपलक्ष्य में हल्दी की होली खेली जाती है और भगवान शिव को हल्दी अर्पित की जाती है। मंदिर के मुख्य द्वार पर राक्षस मणि की एक छोटी प्रतिमा भी स्थापित है। हर साल मंदिर में 42 किलो की तलवार उठाने की प्रतियोगिता का आयोजन होता है। मान्यता है कि इसी तलवार से भगवान मार्तंड भैरव ने राक्षसों का संहार किया था।

यदि विवाह में देरी हो रही है या कोई संतान सुख से वंचित है, तो इस मंदिर में हर मनोकामना पूरी करने की शक्ति मानी जाती है। भक्त दूर-दूर से भगवान शिव के योद्धा अवतार के दर्शन करने आते हैं।

Point of View

बल्कि दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक अनुभव देता है, बल्कि समाज में एकता की भावना को भी बढ़ावा देता है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

खंडोबा मंदिर में हल्दी की होली क्यों खेली जाती है?
यहां हल्दी की होली शत्रुओं पर विजय पाने के उपलक्ष्य में खेली जाती है।
भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन अधूरे क्यों माने जाते हैं?
भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन तब तक अधूरे माने जाते हैं जब तक भक्त राक्षस मणि के दर्शन नहीं करते।
खंडोबा मंदिर का इतिहास क्या है?
खंडोबा मंदिर की कथा भगवान शिव की पौराणिक कहानियों से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने राक्षसों का वध किया।
क्या यहां हर साल कोई प्रतियोगिता होती है?
हाँ, यहाँ हर साल 42 किलो की तलवार उठाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
क्या इस मंदिर में कोई विशेष पूजा होती है?
इस मंदिर में भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा होती है, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
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