क्या बेंगलुरु सीट ब्लॉकिंग घोटाले में ईडी को मिले अहम सबूत?

सारांश
Key Takeaways
- सीट ब्लॉकिंग का घोटाला शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है।
- ईडी ने 1.37 करोड़ रुपए की नकद राशि बरामद की है।
- छापेमारी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए।
- जांच में एजुकेशन कंसल्टेंसी का नेटवर्क शामिल है।
- घोटाले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बेंगलुरु, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बेंगलुरु के निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में सीट ब्लॉकिंग घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त हुए हैं। ईडी की टीमों ने 25 और 26 जून को इस घोटाले के संदर्भ में 17 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत की गई।
ईडी को इस छापेमारी में महान सफलता मिली। मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े कई संदिग्ध दस्तावेज और अन्य डिजिटल उपकरण बरामद किए गए, जिन्हें ईडी ने जब्त कर लिया। इसके अतिरिक्त, कार्रवाई में निजी संस्थानों में कुछ प्रमुख पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर सीट ब्लॉकिंग और नकदी के उपयोग से संबंधित सबूत सामने आए।
दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ है कि इन कॉलेजों में बड़े पैमाने पर सीट ब्लॉकिंग की जाती थी और नकद के माध्यम से प्रवेश प्रदान किए जाते थे, विशेषकर महत्वपूर्ण पेशेवर पाठ्यक्रमों में।
जिन स्थानों पर ईडी ने छापे मारे, उनमें बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, आकाश इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, न्यू होराइजन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और संबंधित व्यक्तियों के कार्यालय शामिल थे। इसके साथ ही, कुछ एजुकेशन कंसल्टेंसी कंपनियों और निजी एजेंटों के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई, जो इस घोटाले में शामिल हैं।
जांच एजेंसी की जांच में यह सामने आया कि एजेंट और एजुकेशन कंसल्टेंसी का एक बड़ा नेटवर्क स्थापित था, जिसका उपयोग इन संस्थानों में दाखिले के लिए देशभर से छात्रों को लाने के लिए किया जाता था। मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर प्रवेश पारदर्शी तरीके से नहीं, बल्कि नकद और बाहरी दबाव के आधार पर किया जाता था।
हाल की कार्रवाई में ईडी ने महत्वपूर्ण सबूतों के साथ-साथ लगभग 1.37 करोड़ रुपए की नकद राशि भी जब्त की, जो आपराधिक तरीके से अर्जित की गई थी।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) ने एक एफआईआर दर्ज कराई। एफआईआर में आरोप था कि ये कॉलेज कुछ अज्ञात व्यक्तियों के सहयोग से केईए में रजिस्टर छात्रों के लॉगिन आईडी और पासवर्ड का गलत उपयोग कर उन छात्रों के नाम पर सीटें ब्लॉक कर रहे थे, जो वास्तविकता में प्रवेश नहीं लेने वाले थे। इस प्रकार, ये सीटें जानबूझकर खाली छोड़ दी जाती थीं, ताकि बाद में उन्हें उच्च कीमत पर बेचा जा सके।