क्या भागलपुर का बीएयू नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने में सफल होगा?

सारांश
Key Takeaways
- नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में बीएयू का कदम।
- कृषि शिक्षा को उद्योगोन्मुखी बनाने का सुझाव।
- कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए नए प्रयास।
- समझौता ज्ञापन से तकनीकी सहयोग की संभावनाएं।
- सिंदूर की खेती पर डॉक्यूमेंट्री का विमोचन।
भागलपुर, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, जो सबौर में स्थित है, ने अपने 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक एवं कुलपति डॉ. श्रीनिवास राव ने नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने विश्वविद्यालय की 15 साल की यात्रा को प्रेरणादायक बताते हुए सभी को बधाई दी। डॉ. राव ने कहा, "यह देखकर गर्व होता है कि इतनी जल्दी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण पहचान बना ली है। बिहार अब किसी भी राज्य से पीछे नहीं है।"
डॉ. राव ने युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने के लिए एग्री-प्रेन्योरशिप को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि शिक्षा को और अधिक उद्योगोन्मुखी और समाधान आधारित बनाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर सिंदूर की खेती पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का विमोचन पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने किया। उन्होंने कहा, "यह परिसर की हरियाली दिल को छू लेने वाली है।"
समारोह में कतरनी चावल के एक किलोग्राम के वाटरप्रूफ जिपर बैग की भी लॉन्चिंग की गई, जो स्थानीय कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग में महत्वपूर्ण है।
सांसद अजय मंडल ने बीएयू को नीति आयोग द्वारा पूर्वोत्तर योजना की नोडल एजेंसी बनाए जाने को ऐतिहासिक बताया।
इस मौके पर बीएयू और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें बिहार के किसानों और छात्रों के लिए अनुसंधान एवं तकनीकी सहयोग के नए अवसरों की संभावना है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कदम बिहार में कृषि का नया युग लाएगा।