क्या भगवान विश्वकर्मा सभी कारीगरों और श्रमिकों के प्रेरणास्रोत हैं? : तरुणप्रीत सिंह सोंद

सारांश
Key Takeaways
- भगवान विश्वकर्मा सभी कारीगरों का प्रेरणास्रोत हैं।
- लुधियाना में भगवान विश्वकर्मा दिवस भव्य समारोह के साथ मनाया गया।
- मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने मेहनत और कारीगरी की सराहना की।
- यह पर्व मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
- लोगों को अपनी कारीगरी से देश का नाम रोशन करने की प्रेरणा मिली।
लुधियाना, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के औद्योगिक केंद्र लुधियाना में बुधवार को भगवान विश्वकर्मा दिवस के उपलक्ष्य में भव्य राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया गया।
व्यापारियों और पंजाब सरकार के सहयोग से लुधियाना के विश्वकर्मा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को श्रम और कारीगरी का गुरु बताते हुए उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला। मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने कहा, “भगवान विश्वकर्मा सभी कारीगरों और श्रमिकों के प्रेरणास्रोत हैं। लुधियाना, जो उद्योगों का गढ़ है, यहां हर घर में कोई न कोई कारखाना, कटिंग मशीन या आरी चलाता है। यहां के लोग मेहनत और कारीगरी से न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बनाते हैं।”
उन्होंने भगवान विश्वकर्मा की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने की बात पर जोर देते हुए कहा कि यह पर्व मेहनत और समर्पण का प्रतीक है। भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद हमें मेहनत और समर्पण की प्रेरणा देता है। हम चाहते हैं कि लोग अधिक से अधिक काम में जुटें और अपनी कारीगरी से देश का नाम रोशन करें।
समारोह के दौरान मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने पराली जलाने के मुद्दे पर भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, “कल देर रात दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 1000 के आसपास पहुंच गया था। जब आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब सिरसा पंजाब पर सवाल उठाते थे। अब भाजपा की सरकार होने के बावजूद वे पंजाब को निशाना बना रहे हैं।”
तरुणप्रीत सिंह सोंद ने मनजिंदर सिंह सिरसा को सलाह दी कि वे पंजाब की पगड़ी का सम्मान करें और पंजाब के हित में बोलें।
विश्वकर्मा मंदिर के व्यवस्थापकों ने इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं और लोगों से मेहनत और कारीगरी में जुटने का आह्वान किया।
समारोह में विभिन्न उद्योगों से जुड़े कारीगरों और व्यापारियों ने भाग लिया और भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की।