क्या भारत और ओमान सैन्य सहयोग, तकनीकी साझेदारी और उत्पादन क्षमता को महत्व दे रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और ओमान ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने का निर्णय लिया।
- तकनीकी साझेदारी और उत्पादन क्षमता में वृद्धि पर जोर दिया गया।
- हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए साझा प्रतिबद्धता।
- रक्षा उद्योग में सहयोग को और बढ़ाने की योजना।
- समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और ओमान ने आपसी रक्षा सहयोग को मजबूती देने के लिए संयुक्त विकास, तकनीकी साझेदारी और उत्पादन क्षमता विस्तार पर विशेष जोर दिया है। इस संदर्भ में दोनों देशों ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की। नई दिल्ली में आयोजित यह 13वीं संयुक्त सैन्य सहयोग समिति की बैठक थी।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और ओमान के रक्षा मंत्रालय के सेक्रेटरी जनरल डॉ. मोहम्मद बिन नसीर बिन अली अल जाबी ने बैठक की सह-अध्यक्षता की। बैठक में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत रक्षा संबंधों की सराहना की गई। रक्षा संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए नए क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्यों पर भी विचार-विमर्श किया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों देशों ने रक्षा विनिर्माण और सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गहन सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। बैठक में रक्षा विनिर्माण के संयुक्त विकास पर बल दिया गया। तकनीकी आदान-प्रदान और सहयोग पर चर्चा हुई। उत्पादन आधारित साझेदारी का विस्तार करने, आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करने पर सहमति बनी व उभरती रक्षा तकनीकों में नवाचार को बढ़ावा देने की बात कही गई। बैठक में यह भी सहमति बनी कि दीर्घकालिक फ्रेमवर्क विकसित किए जाएं, जिनसे उन्नत रक्षा प्लेटफॉर्म का सह-विकास हो सके, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिले और सामरिक लचीलापन सुदृढ़ हो।
दोनों देशों ने माना कि रक्षा औद्योगिक सहयोग की मजबूती न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक है, बल्कि समान सुरक्षा हितों और सतत रक्षा आधुनिकीकरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत यात्रा के दौरान सेक्रेटरी जनरल डॉ. अल जाबी ने रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से मुलाकात कर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से भी मुलाकात की और सैन्य सहयोग, संयुक्त प्रशिक्षण, और समुद्री सुरक्षा को लेकर विचार साझा किए।
बता दें कि भारत और ओमान के संबंध सम्मान, विश्वास और साझा सामरिक हितों पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत राजनीतिक और रक्षा संबंध हैं। ऊर्जा सुरक्षा, तेल व गैस व्यापार, आर्थिक साझेदारी, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग हैं। दोनों पक्षों के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने की साझा प्रतिबद्धता मुख्य आधार है। इस बैठक ने एक बार फिर पुष्टि की है कि भारत और ओमान रक्षा और सुरक्षा सहयोग के सभी क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय नियमित संवाद बनाए रखेंगे और रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ करेंगे।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भी ओमान सल्तनत के रक्षा मंत्रालय के सेक्रेटरी जनरल डॉ. मोहम्मद बिन नासिर बिन अली अल-जाबी के साथ विस्तृत वार्ता की। चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग को और गहरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। बैठक में मिलिटरी लॉजिस्टिक कॉम्प्लेक्स पर प्रगति, शिपबिल्डिंग, मेंटेनेन्स, रिपेयर और ओवरहॉल में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। साथ ही प्रशिक्षण में सहयोग को मजबूत करने और रक्षा निर्यात के नए अवसरों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
दोनों पक्षों ने समुद्री सुरक्षा को और सुदृढ़ करने, बेहतर सीमा प्रबंधन, भारतीय नौसेना के प्लेटफॉर्म्स के लिए सामरिक संचालन में तेजी लाने, तथा भारतीय वायुसेना और नौसेना की उड़ानों के लिए क्लियरेंस प्रक्रिया को और सुगम बनाने पर भी विचार साझा किया।