भारत-रूस के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात क्यों महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- बैठक का उद्देश्य: सैन्य सहयोग और तकनीकी साझेदारी को बढ़ाना।
- रूसी रक्षा मंत्री: शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
- नवीनतम युद्धपोत: आईएनएस तमाल को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
- समझौता: नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एचएएल और रूस के बीच हुआ।
- क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत और रूस के बीच सहयोग से स्थिरता में बढ़ोतरी होगी।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों की एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन होने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव 4 दिसंबर को नई दिल्ली में मिलेंगे। इस बैठक में दोनों देश इंटर गवर्नमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कॉपरेशन की 22वीं मंत्रिस्तरीय बैठक की संयुक्त अध्यक्षता करेंगे।
बैठक के दौरान, दोनों नेता भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में चल रहे बहुआयामी सहयोग की विस्तृत समीक्षा करेंगे। इसमें सैन्य सहयोग, रक्षा उद्योग, उपकरणों की आपूर्ति, संयुक्त उत्पादन, और सैन्य तकनीकी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही, दोनों देश वर्तमान क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिस्थितियों एवं परस्पर हित से जुड़े मुद्दों पर विचार करेंगे। अपने भारत दौरे के दौरान, रूसी रक्षा मंत्री नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वे उन वीर जवानों को नमन करेंगे जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया।
यह बैठक भारत और रूस के बीच पारंपरिक रूप से मजबूत रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसमें रक्षा तकनीक, सैन्य हार्डवेयर में सहयोग, संयुक्त परियोजनाओं और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने पर जोर दिया जाएगा।
हाल ही में, नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूस की पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने एसजे-100 नागरिक विमान के उत्पादन के लिए एक विशेष समझौता किया है। इस पर अक्टूबर के अंत में हस्ताक्षर किए गए थे।
यह उल्लेखनीय है कि एचएएल भारतीय वायुसेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण भी कर रही है। एचएएल के अनुसार, यह समझौता 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में संपन्न हुआ था। माना जा रहा है कि एसजे-100 भारत के लिए एक गेम-चेंजर विमान साबित हो सकता है। यह एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी कम्यूटर एयरक्राफ्ट है, जिसका उपयोग क्षेत्रीय और शॉर्ट-हॉल यात्राओं के लिए किया जाता है। अब तक दुनिया भर में 200 से अधिक विमान निर्मित किए गए हैं और इन्हें 16 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस द्वारा संचालित किया जा रहा है।
यह विमान भारत की उड़ान योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। समझौते के अनुसार, एचएएल को भारत में घरेलू ग्राहकों के लिए एसजे-100 विमान का निर्माण करने का विशेष अधिकार प्राप्त होगा। इसके साथ ही, भारतीय विमानन इतिहास में यह एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। वहीं, आतंकवाद के खिलाफ भारत और रूस एक दूसरे के सहयोगी बने हुए हैं। दोनों देशों ने हाल ही में आतंकवाद रोधी बहुराष्ट्रीय अभ्यास भी किया है।
इस अभ्यास में दोनों देशों की सेनाओं ने रूस में संयुक्त युद्धाभ्यास किया, जिसका उद्देश्य भारत और रूसी सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना था। साथ ही, पारंपरिक युद्धकला और आतंकवाद-रोधी अभियानों में साझा रणनीति और आधुनिक तकनीकों का आदान-प्रदान किया गया। यह अभ्यास 10 सितंबर को शुरू हुआ था, जिसमें थल सेना, नौसेना और वायु सेना के जवान एवं अधिकारी शामिल थे।
रक्षा सहयोग के संदर्भ में, भारत का आधुनिक युद्धपोत आईएनएस तमाल इसी वर्ष जुलाई में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। भारतीय नौसेना ने रूस के यंतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में आयोजित एक भव्य समारोह में नवीनतम स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तमाल को औपचारिक रूप से नौसेना में कमीशन किया। यह युद्धपोत न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल, केमिकल रक्षा प्रणाली से लैस है और इसमें हेलिकॉप्टर संचालन की बेहतरीन क्षमता है। इसके अलावा, इस युद्धपोत को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और वर्टिकल लॉन्च सतह से वायु में मार करने वाली मिसाइल से सुसज्जित किया गया है।
युद्धपोत में 100 मिमी मुख्य तोप, हैवी टॉरपीडो और रॉकेट्स की क्षमता है। तकनीकी विशेषताओं की बात करें तो इसमें उन्नत संचार और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताएं शामिल हैं।