क्या एस जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री सिबिहा से शांति योजना पर बात की?
सारांश
Key Takeaways
- एस जयशंकर और सिबिहा के बीच फोन पर वार्ता हुई।
- भारत ने यूक्रेन विवाद के समाधान के लिए समर्थन दिया।
- यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कठिनाई की चेतावनी दी।
- अमेरिका ने जेलेंस्की को समझौते पर राय देने का समय दिया है।
- रूस का योगदान शांति योजना में महत्वपूर्ण है।
वॉशिंगटन, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के शांति योजना पर चर्चा के दौरान, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा से फोन पर संवाद किया। एस जयशंकर ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की और बताया कि उन्होंने रविवार को यूक्रेन के विदेश मंत्री से रूस के साथ चल रहे संघर्ष के नवीनतम घटनाक्रम पर चर्चा की।
एस जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "कल शाम यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा के साथ फोन पर वार्ता की। यूक्रेन विवाद से संबंधित हालिया विकास पर उनकी जानकारी के लिए धन्यवाद। भारत ने इस विवाद को शीघ्र समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।"
गौरतलब है कि दोनों देशों के मंत्रियों ने पहले नवंबर में कनाडा में आयोजित जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में एक आउटरीच सत्र के दौरान मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग, यूक्रेन में शांति का मार्ग, और युद्ध क्षेत्र के हालात पर चर्चा की थी।
भारत ने शुरू से ही दोनों देशों के बीच वार्ता के माध्यम से विवादों को सुलझाने और कुशल रणनीति के जरिए समझौता करने का समर्थन किया है।
इस बीच, अमेरिकी शांति योजना में हालिया अपडेट में विदेश सचिव मार्को रुबियो ने पुष्टि की है कि भले ही यह ड्राफ्ट अमेरिका द्वारा तैयार किया गया है, लेकिन इसमें रूस का योगदान भी है। यही कारण है कि इस ड्राफ्ट में वे सभी शर्तें शामिल की गई हैं, जिन्हें यूक्रेन हमेशा से अस्वीकार करता रहा है।
दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन हमारे इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। अमेरिका कीव पर एक ऐसे योजना को लागू करने के लिए दबाव डाल रहा है जिसे यूक्रेन में कई लोग मॉस्को के हितों की ओर झुका हुआ मानते हैं।
अमेरिका ने जेलेंस्की को इस समझौते को मानने के लिए 27 नवंबर तक का समय दिया है। यूक्रेन को शांति योजना के ड्राफ्ट पर अपनी राय देना आवश्यक है। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस ड्राफ्ट को दोनों देशों के बीच समझौते के लिए एक संभावित आधार बताया है।