क्या भारत ने रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि की है?

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क्या भारत ने रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि की है?

सारांश

भारत ने रक्षा उत्पादन में एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पिछले 5 वर्षों में इसके उत्पादन में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह उपलब्धि देश के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार को दर्शाती है। जानिए इस उपलब्धि के पीछे का कारण और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • रक्षा उत्पादन में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपए तक पहुंचा।
  • निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 23 प्रतिशत हुई।
  • यह उपलब्धि 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत हासिल की गई।
  • रक्षा मंत्री ने सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की।

नई दिल्ली, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई उच्चता प्राप्त की है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में रक्षा उत्पादन 1,50,590 करोड़ रुपए के साथ सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है। यह पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के 1.27 लाख करोड़ की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 79,071 करोड़ था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पिछले 5 वर्षों में 90 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि का ऐलान किया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रक्षा उत्पादन एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि यह निरंतर वृद्धि भारत के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार का स्पष्ट संकेत है। इस अवसर पर उन्होंने रक्षा उत्पादन में कार्यरत कंपनियों और निजी उद्योगों के सामूहिक प्रयास की भी सराहना की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में राजनाथ सिंह ने लिखा, "मैं इस उपलब्धि को हासिल करने में रक्षा उत्पादन विभाग और सभी हितधारकों, यानी रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के निर्माताओं और निजी उद्योग के सामूहिक प्रयासों की सराहना करता हूं। यह बढ़ती हुई प्रगति भारत के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार का स्पष्ट संकेत है।"

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का कुल उत्पादन में लगभग 77 प्रतिशत योगदान रहा, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत रहा। निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 21 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 23 प्रतिशत हो गई, जो देश के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में इस क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।

रक्षा मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत भारत सरकार के रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता घटाने और देश में एक मजबूत रक्षा औद्योगिक ढांचा खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो न सिर्फ घरेलू जरूरतों को पूरा करे, बल्कि निर्यात क्षमताओं को भी सशक्त बनाए।

गौरतलब है कि रक्षा निर्यात में भी देश ने नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसमें वित्त वर्ष 2023-24 के 21,083 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात आंकड़ों की तुलना में 2,539 करोड़ रुपए या 12.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

Point of View

बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान करता है। ऐसे समय में जब वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, भारत का यह कदम न केवल घरेलू सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसे एक विश्वसनीय रक्षा निर्माता के रूप में स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत का रक्षा उत्पादन कितना बढ़ा है?
भारत का रक्षा उत्पादन वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1,50,590 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
रक्षा निर्यात में भारत ने क्या उपलब्धि हासिल की?
भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 23,622 करोड़ रुपए तक पहुंचाया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.04 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
भारत का रक्षा उत्पादन किस पहल के तहत बढ़ रहा है?
भारत का रक्षा उत्पादन 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत बढ़ रहा है, जिसका उद्देश्य देश में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
निजी क्षेत्र का रक्षा उत्पादन में योगदान कितना है?
निजी क्षेत्र का योगदान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 23 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है।
रक्षा मंत्री ने इस उपलब्धि पर क्या कहा?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार का संकेत बताया और सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की।