क्या भारत का संविधान वास्तव में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ है? : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
सारांश
Key Takeaways
- भारत का संविधान हर व्यक्ति को अधिकार और आवाज देता है।
- संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है।
- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बताया।
- प्रधानमंत्री मोदी का पत्र संविधान के महत्व को दर्शाता है।
- एकनाथ शिंदे का कमिटमेंट जनता के प्रति है।
नागपुर, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संविधान दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमारा संविधान ऐसा है, जिसने हर व्यक्ति को आवाज दी है। हर व्यक्ति को अस्तित्व और अपने सपने पूरे करने का अधिकार प्रदान किया है। भारत का संविधान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है।
उन्होंने भारतीय संविधान के बारे में प्रधानमंत्री मोदी की कही बात का समर्थन किया। दरअसल, सीएम फडणवीस ने यह बात पीएम मोदी द्वारा देशवासियों को लिखे उस पत्र के संदर्भ में कही, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि संविधान ने इतना अधिकार दिया है कि मुझ जैसे पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को भी प्रधानमंत्री बना दिया।
प्रधानमंत्री ने संविधान दिवस पर देशवासियों के नाम एक पत्र लिखा है। पत्र में पीएम मोदी ने लिखा कि 26 नवंबर हर भारतीय के लिए बहुत गौरवशाली दिन है। इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। इसलिए, एक दशक पहले, साल 2015 में एनडीए सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में लिखा कि हमारा संविधान एक ऐसा पवित्र दस्तावेज है, जो निरंतर देश के विकास का सच्चा मार्गदर्शक बना हुआ है। ये भारत के संविधान की ही शक्ति है जिसने मुझ जैसे गरीब परिवार से निकले साधारण व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचाया है। संविधान के कारण मुझे 24 वर्षों से निरंतर सरकार के मुखिया के तौर पर काम करने का अवसर मिला है।
उन्होंने कहा कि मुझे याद है, साल 2014 में जब मैं पहली बार संसद भवन में प्रवेश कर रहा था, तो सीढ़ियों पर सिर झुकाकर मैंने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को नमन किया। साल 2019 में जब चुनाव परिणाम के बाद मैं संसद के सेंट्रल हॉल में गया था, तो सहज ही मैंने संविधान को सिर माथे लगा लिया था।
वहीं, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का आज फिल्मी अंदाज सामने आया। उन्होंने एक जनसभा में कहा कि “एक बार कमिटमेंट कर दी तो मैं खुद की भी नहीं सुनता।”
दरअसल, एकनाथ शिंदे बुधवार को वाशिम के मालेगांव में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। भाषण के दौरान उन्होंने फिल्मी अंदाज में एक मशहूर डायलॉग बोलते हुए कहा, “मैं कमिटमेंट नहीं करता और अगर कमिटमेंट कर दी, तो फिर खुद की भी नहीं सुनता।” शिंदे ने कहा कि वे जनता से किए गए हर वादे को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।