क्या भारत पश्चिम एशिया में बदलती भू-राजनीतिक स्थिति पर ध्यान दे रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने अपनी ऊर्जा आपूर्ति को विविधित किया है।
- केंद्रीय मंत्री ने भंडार की उपलब्धता की पुष्टि की है।
- भारत लगभग 85% कच्चे तेल का आयात करता है।
- भू-राजनीतिक तनाव से ऊर्जा सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
- रूस और अमेरिका से आयात बढ़ाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव पर भारत की सरकार निरंतर निगरानी रख रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को स्पष्ट किया कि भारत पिछले दो सप्ताह से इस उभरती स्थिति पर बारीकी से ध्यान दे रहा है।
हरदीप सिंह पुरी ने यह भी बताया कि भारत की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के पास पहले से ही कई सप्ताह की आपूर्ति का भंडार उपलब्ध है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी ऊर्जा आपूर्ति को विविधित किया है। अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर नहीं आता। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत की तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त भंडार है और उन्हें विभिन्न वैकल्पिक मार्गों से ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति मिल रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार अपने नागरिकों को ईंधन की आपूर्ति में किसी प्रकार की अस्थिरता से बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने को तैयार है।
यह ध्यान देने योग्य है कि मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष का सऊदी अरब, इराक, कुवैत और यूएई से तेल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो सकती है। शिपिंग गतिविधियों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि यमन के हूती विद्रोहियों ने पहले ही चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो वे जहाजों पर अपने हमले फिर से शुरू कर देंगे।
भारत लगभग 85 प्रतिशत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का आयात करता है, और तेल की कीमतों में वृद्धि से उसके तेल आयात बिल में बढ़ोतरी तथा मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि होती है, जो आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। विदेशी मुद्रा के बड़े व्यय से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है।
हालांकि, भारत ने रूस और अमेरिका से आयात बढ़ाकर और स्ट्रेटेजिक भंडार के माध्यम से अपने तेल आयात को विविधता और मजबूती प्रदान की है। तेल एवं गैस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की उपलब्धियों के संदर्भ में पुरी ने पहले कहा था कि देश में अब 23 आधुनिक परिचालन रिफाइनरियां हैं, जिनकी कुल क्षमता 25.7 करोड़ टन प्रति वर्ष है।