क्या भारत की विदेश नीति विफल हो गई है? ट्रंप के एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि पर इमरान मसूद की प्रतिक्रिया

सारांश
Key Takeaways
- एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि का भारतीय युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव।
- इमरान मसूद का एनडीए सरकार पर आरोप।
- भारत की विदेश नीति की विफलता की चर्चा।
- कांग्रेस के नेताओं की चेतावनियों की अनदेखी।
- मित्र देशों के साथ रिश्तों की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की है कि अमेरिकी कंपनियों को अब विदेशी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा हासिल करने के लिए सरकार को 1,00,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। इस पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, यह कहते हुए कि भारत की विदेश नीति और कूटनीति पूरी तरह से विफल रही है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इमरान मसूद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की जोड़ी के नकारात्मक परिणाम अब देश भर में महसूस किए जा रहे हैं। युवाओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। जिन मुद्दों पर हम पहले आवाज उठाते थे, आज हम उनके नकारात्मक परिणामों का सामना कर रहे हैं। हमारी विदेश नीतियां और कूटनीति पूरी तरह से असफल साबित हुई हैं। कोई भी इस स्थिति की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि अब युवा लगातार देख रहे हैं कि देश में क्या हो रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पहले ही चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हालिया रक्षा समझौते पर इमरान मसूद ने कहा कि हमारी कूटनीति और विदेश नीति को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि हम उन देशों के साथ खड़े रहें जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से हमारा समर्थन किया है। लेकिन हम उन लोगों के पीछे चले गए जो कभी भी हमारे सच्चे सहयोगी नहीं रहे। अब, कोई भी हमारे साथ खड़ा नहीं है। पाकिस्तान एक ऐसी स्थिति का सामना कर रहा है जहां उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और हम भी इससे अछूते नहीं हैं। हमें ईरान और फिलिस्तीन के साथ खड़ा होना चाहिए था, लेकिन हम ऐसा करने में असफल रहे हैं। ये सभी हमारी विदेश नीति और कूटनीति की स्पष्ट विफलताएं हैं।
मसूद ने भाजपा नेता सुब्रत पाठक की हालिया टिप्पणी पर कहा कि ये लोग जोड़ने के बजाय बांटने का काम कर रहे हैं। ये अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए नफरत फैलाते हैं, जबकि देश के युवा कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था इसकी कीमत चुका रही है।
तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा राज्य की शिक्षा नीति को लेकर दिए गए बयान पर उन्होंने कहा, "इनका एजेंडा नफरत का है। यह धर्म, क्षेत्र या जाति के नाम पर तोड़ने की बात करते हैं, जोड़ने की नहीं। आप राज्यपाल हैं, कमी है तो सरकार को बताएं।"