क्या भारत में पिछले छह वित्त वर्षों में 12,000 लाख करोड़ रुपए से अधिक के डिजिटल लेनदेन हुए?

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क्या भारत में पिछले छह वित्त वर्षों में 12,000 लाख करोड़ रुपए से अधिक के डिजिटल लेनदेन हुए?

सारांश

पिछले छह वित्त वर्षों में भारत में डिजिटल लेनदेन की संख्या 65,000 करोड़ को पार कर गई है, जिससे वित्तीय सेवाओं में क्रांति आई है। यह जानकारी सरकार की ओर से संसद में प्रस्तुत की गई है। जानें, कैसे डिजिटल भुगतान ने समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित किया है।

Key Takeaways

  • पिछले छह वित्त वर्षों में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं।
  • डिजिटल भुगतान ने औपचारिक आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
  • सरकार और आरबीआई द्वारा कई पहलें की जा रही हैं।
  • डिजिटल लेनदेन ने वंचित समुदायों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार किया है।
  • 2025 तक 4.77 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित किए जाएंगे।

नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पिछले छह वित्त वर्षों (वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25) में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं, जिनकी वैल्यू 12,000 लाख करोड़ रुपए से अधिक रही है। यह जानकारी सोमवार को सरकार की ओर से संसद को दी गई।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार देश में टियर-2 और टियर-3 सहित डिजिटल भुगतान को अपनाने की दर बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों सहित विभिन्न पक्षकारों के साथ मिलकर काम कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आरबीआई ने टियर-3 से टियर-6 शहरों, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहित करने के लिए 2021 में एक पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआईडीएफ) की स्थापना की है।

मंत्री ने कहा कि 31 मई, 2025 तक, पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 4.77 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं।

आरबीआई ने देश भर में भुगतानों के डिजिटलीकरण की सीमा को मापने के लिए डिजिटल पेमेंट इंडेक्स (आरबीआई-डीपीआई) विकसित किया है।

इसके परिणामस्वरूप, अधिक लोग औपचारिक ऋण माध्यमों तक पहुंच पा रहे हैं, जो न केवल आर्थिक भागीदारी को सशक्त बनाता है, बल्कि अधिक संस्थाओं को औपचारिक वित्तीय इकोसिस्टम में भी लाता है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया, यूपीआई जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने छोटे विक्रेताओं और ग्रामीण उपयोगकर्ताओं सहित नागरिकों को डिजिटल भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाया है, जिससे नकदी पर निर्भरता कम हुई है और औपचारिक आर्थिक भागीदारी बढ़ी है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 के लिए आरबीआई-डीपीआई सूचकांक 465.33 रहा, जो देश भर में डिजिटल भुगतान अपनाने, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रदर्शन में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे व्यवसायों और एमएसएमई के ग्राहक आधार को बढ़ाने और दक्षता में सुधार लाने के उद्देश्य डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनाने में सहायता प्रदान करने के लिए, सरकार, आरबीआई और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा समय-समय पर विभिन्न पहल की गई हैं।

डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन ने विशेष रूप से वंचित और वंचित समुदायों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में क्रांति ला दी है।

Point of View

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि डिजिटल भुगतान के इस उभार ने न केवल आर्थिक विकास को गति दी है, बल्कि यह समाज के वंचित वर्गों के लिए भी एक नया अवसर प्रस्तुत कर रहा है। यह एक सकारात्मक दिशा में बढ़ता हुआ कदम है, जो समग्र आर्थिक भागीदारी को सशक्त बनाता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

डिजिटल लेनदेन क्या है?
डिजिटल लेनदेन एक ऐसा लेनदेन है जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के द्वारा किया जाता है, जैसे कि ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल एप्स आदि।
भारत में डिजिटल भुगतान को कैसे बढ़ावा दिया जा रहा है?
सरकार, आरबीआई और विभिन्न संस्थाएँ मिलकर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और पहल कर रही हैं।
डिजिटल भुगतान के क्या लाभ हैं?
डिजिटल भुगतान से लेनदेन की प्रक्रिया तेज होती है, सुरक्षा बढ़ती है और यह वंचित समुदायों को भी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है।