क्या भारत ने सिख फॉर जस्टिस और गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू कर दी?

सारांश
Key Takeaways
- एनआईए ने गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ नया मामला दर्ज किया।
- पन्नू ने प्रधानमंत्री को धमकी दी थी।
- खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस पर कार्रवाई जारी है।
नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। इसी संदर्भ में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पन्नू के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है।
यह कदम उस समय उठाया गया जब पन्नू ने १० अगस्त को पाकिस्तान के लाहौर प्रेस क्लब में आयोजित 'मीट द प्रेस' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को लाल किले पर तिरंगा फहराने से रोकने वाले को ११ करोड़ रुपए का इनाम देने का ऐलान किया था और यह बयान उन्होंने वाशिंगटन से वीडियो लिंक के जरिए दिया था।
इसके साथ ही, पन्नू ने एक विवादित मानचित्र जारी किया जिसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को शामिल किया गया। एसएफजे ने भारत के खिलाफ 'शहीद जत्था' नाम का एक समूह भी बनाया है।
एनआईए ने इस मामले में बीएनएस २०२३ की धारा ६१(२) और यूएपीए की धाराएँ १० व १३ के तहत मामला दर्ज किया है। अब एजेंसी इस साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों और नेटवर्क के विस्तार की जांच करेगी।
इससे पहले, कनाडा में पन्नू का करीबी सहयोगी खालिस्तानी चरमपंथी इंद्रजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार किया गया। गोसल की गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिख फॉर जस्टिस के खिलाफ एजेंसियों ने सख्त कदम उठाया है।
जून २०२३ में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद गोसल ने खालिस्तानी संगठन एसएफजे के एक प्रमुख कनाडाई आयोजक के रूप में चर्चा में आ गया। उसके द्वारा खालिस्तान के समर्थन में कई जनमत संग्रह आयोजित किए गए थे, जिनका उद्देश्य पंजाब से अलग एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र की मांग को समर्थन दिलाना था।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय एजेंसियाँ नियमित रूप से कनाडा की एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा कर रही हैं। हालांकि पहले बाबर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठनों की जानकारी साझा की जाती थी, लेकिन अब ध्यान मुख्य रूप से सिख फॉर जस्टिस पर केंद्रित है।