क्या भारत रत्न पं. रवि शंकर: सितार के जादूगर ने विश्व को भारतीय शास्त्रीय संगीत का दीवाना बना दिया?

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क्या भारत रत्न पं. रवि शंकर: सितार के जादूगर ने विश्व को भारतीय शास्त्रीय संगीत का दीवाना बना दिया?

सारांश

पंडित रवि शंकर, भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानायक, ने विश्वभर में अपनी संगीत कला से एक अनूठा स्थान बनाया। उनका जीवन और कार्य संगीत की दुनिया में आज भी गूंजता है। जानें उनके योगदान और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • रवि शंकर ने भारतीय संगीत को विश्वस्तर पर स्थापित किया।
  • उन्हें चार ग्रैमी पुरस्कार मिले हैं।
  • उनकी संगीत रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं।
  • रवि शंकर का योगदान सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण है।
  • उनके निधन के 11 दिन बाद उन्हें भारत रत्न दिया गया।

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंडित रवि शंकर पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्होंने पाश्चात्य दुनिया में शास्त्रीय संगीत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया। उन्होंने विश्वभर में भारतीय संगीत की ख्याति को बढ़ाया। चार ग्रैंड स्लैम और कई देशों के सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने वाले रवि शंकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान उनके निधन के मात्र 11 दिन बाद दिया गया।

पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को हुआ। उन्होंने मैहर घराना के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत की शिक्षा प्राप्त की और सितार को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। वे पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्होंने पश्चिमी दुनिया में शास्त्रीय संगीत को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

1960 के दशक में जब बीटल्स के जॉर्ज हैरिसन उनके शिष्य बने, तब पूरी दुनिया ने सितार की धुन सुनी। ‘नॉर्वेजियन वुड’ और ‘विदिन यू विदाउट यू’ जैसे गानों में सितार की झंकार रवि शंकर की देन थी। जॉर्ज हैरिसन ने उन्हें ‘संगीत का देवता’ कहा था।

महान फिल्मकार सत्यजीत रे की 'पथेर पांचाली', 'अपराजितो', 'अपूर संसार' जैसी कालजयी फिल्मों का संगीत भी रवि शंकर ने रचा। गांधी फिल्म में ‘रघुपति राघव’ का जो स्वरूप दुनिया ने सुना, वह भी उनकी रचना थी।

रवि शंकर के नाम अनगिनत सम्मान और रिकॉर्ड हैं। उनके नाम 4 ग्रैमी अवार्ड हैं, जो किसी भारतीय द्वारा सबसे अधिक हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें एक ऑस्कर नामांकन (गांधी फिल्म), 14 डॉक्टरेट की उपाधियाँ, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित कई देशों के सर्वोच्च सम्मान, और भारत में पद्म विभूषण (1981) और पद्म भूषण (1967) सम्मान प्राप्त हुए।

2012 में जब भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' की घोषणा हुई, तो पूरा देश भाव-विभोर हो उठा। सितार की सुरों से दुनिया को मोहित करने वाले महान संगीतकार पंडित रवि शंकर को मरणोपरांत यह सम्मान देने का ऐलान हुआ। यह एक अद्वितीय अवसर था जब शास्त्रीय संगीत के किसी कलाकार को जीते जी नहीं, बल्कि उनके निधन के केवल 11 दिन बाद देश का सबसे बड़ा सम्मान मिला।

अमेरिका के सैन डियगो में 92 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के ठीक 11 दिन बाद, 22 दिसंबर 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घोषणा की कि पंडित रवि शंकर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 25 जनवरी 2013 को औपचारिक रूप से प्रदान किया गया।

उन्होंने अपनी दोनों बेटियों, नोरा जोन्स (ग्रैमी विजेता) और अनुष्का शंकर (विश्व प्रसिद्ध सितार वादक), को भी संगीत की विरासत सौंपी।

पंडित रवि शंकर का जाना सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि विश्व संगीत का नुकसान था। हर साल 11 दिसंबर को विश्वभर में उनके प्रशंसक 'रवि शंकर स्मृति दिवस' मनाते हैं। कोलकाता में 'पंडित रवि शंकर संस्थान' और वाराणसी तथा दिल्ली में उनके नाम पर संगीत अकादमियां चल रही हैं। 2020 में उनके जन्म के 100 वर्ष पूरे होने पर यूनेस्को ने भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था।

भारत रत्न पंडित रवि शंकर केवल एक संगीतकार नहीं थे, बल्कि भारत के सांस्कृतिक राजदूत थे जिन्होंने सितार के सात सुरों से पूरी दुनिया को भारतीयता का सम्मोहन सिखाया।

Point of View

NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

पंडित रवि शंकर ने किस संगीत शैली का प्रचार किया?
पंडित रवि शंकर ने भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रचार किया और इसे विश्व स्तर पर स्थापित किया।
रवि शंकर को कितने ग्रैमी पुरस्कार मिले?
उन्हें चार ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
उनका जन्म कब हुआ था?
पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को हुआ था।
पंडित रवि शंकर की कौन-कौन सी प्रसिद्ध फिल्में हैं?
उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 'पथेर पांचाली', 'अपराजितो', और 'अपूर संसार' शामिल हैं।
रवि शंकर को भारत रत्न कब मिला?
उन्हें मरणोपरांत 25 जनवरी 2013 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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