क्या भारत-रूस के बीच 3 अक्टूबर 2000 को हुई थी ऐतिहासिक साझेदारी?

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क्या भारत-रूस के बीच 3 अक्टूबर 2000 को हुई थी ऐतिहासिक साझेदारी?

सारांश

भारत-रूस के बीच 3 अक्टूबर 2000 को हुई इस ऐतिहासिक साझेदारी ने द्विपक्षीय संबंधों को नया दृष्टिकोण दिया। आज हम इस महत्वपूर्ण समझौते की 25वीं वर्षगांठ मनाते हुए, उन उपलाब्धियों को याद करते हैं जो दोनों देशों ने एक साथ हासिल की हैं।

Key Takeaways

  • 3 अक्टूबर 2000 को भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक साझेदारी हुई।
  • इसने द्विपक्षीय संबंधों को एक नया आयाम दिया।
  • दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा, और विज्ञान में सहयोग बढ़ाया।
  • यह साझेदारी आज भी मजबूत बनी हुई है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा में योगदान करती है।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और रूस के बीच 3 अक्टूबर 2000 को एक ऐसी रणनीतिक साझेदारी की स्थापना हुई, जिसने दोनों देशों के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग को एक नया आयाम प्रदान किया। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस अवसर पर बधाई दी।

इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किए, जिसने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाया। इस समझौते के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने, प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने के साथ ही आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में निकट सहयोग पर जोर दिया गया। आज इस ऐतिहासिक फैसले की 25वीं वर्षगांठ है।

इस संबंध में डेनिस अलीपोव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "3 अक्टूबर 2000 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रणनीतिक साझेदारी की घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों का एक नया अध्याय शुरू हुआ। आज हम इस ऐतिहासिक घोषणा की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।"

यह जानकारी भी महत्वपूर्ण है कि भारत और रूस ने 1991 में द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए थे। हालांकि, सामरिक साझेदारी संबंधी घोषणा पत्र (2000) पर ऐसे समय में हस्ताक्षर किए गए, जब सोवियत संघ के पतन के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की गति धीमी हो गई थी। इसका एक प्रमुख कारण 1971 की भारत-सोवियत मैत्री और सहयोग संधि का 1993 में नवीनीकरण था।

इसकी वजह से 2000 में दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते ने भारत और रूस के संबंधों को एक नई दिशा दी। दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, परमाणु, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे सभी संभावित क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की। तब से अब तक, भारत-रूस संबंध कई मायनों में मजबूत बने हुए हैं।

जब यह साझेदारी संधि हस्ताक्षरित की गई थी, तब विश्व व्यापार केंद्र पर 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद दुनिया आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के कगार पर थी। भारत और रूस, दोनों अपने-अपने स्तर पर, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में शामिल हुए। दोनों देशों ने आतंकवाद और उससे जुड़ी गतिविधियों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर सहयोग किया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत और रूस के बीच की साझेदारी ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शांति और सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संबंध हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत-रूस की साझेदारी का महत्व क्या है?
यह साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान करती है।
इस साझेदारी के तहत कौन-कौन से क्षेत्रों में सहयोग किया जा रहा है?
इस साझेदारी के अंतर्गत रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग किया जा रहा है।