क्या पिछले पांच साल में 9 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी?
सारांश
Key Takeaways
- 9 लाख भारतीयों ने पिछले पांच वर्षों में नागरिकता छोड़ी।
- सरकार ने एक मजबूत तंत्र स्थापित किया है।
- सर्वाधिक शिकायतें सऊदी अरब और यूएई से आईं।
- कानूनी सहायता इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
- प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को संसद में जानकारी साझा की कि पिछले पांच वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता को छोड़ दिया है। विदेशी नागरिकता को अपनाने की यह प्रवृत्ति निरंतर बढ़ रही है।
राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री कीर्ती वर्धन सिंह ने बताया कि सरकार ने भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों का वर्षवार रिकॉर्ड रखा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में नागरिकता त्यागने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
अंकित किया गया है कि 2020 में 85,256; 2021 में 1,63,370; 2022 में 2,25,620; 2023 में 2,16,219 और 2024 में 2,06,378 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी। इसके अतिरिक्त, 2011 से 2019 के बीच 11,89,194 भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी। इस दौरान 2011 में 1,22,819; 2012 में 1,20,923; 2013 में 1,31,405; 2014 में 1,29,328; 2015 में 1,31,489; 2016 में 1,41,603; 2017 में 1,33,049; 2018 में 1,34,561 और 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी।
इसी बीच, 2024-25 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों से मिली शिकायतों के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल के उत्तर में विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्रालय को कुल 16,127 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 11,195 शिकायतें ‘मदद’ पोर्टल और 4,932 शिकायतें सीपीग्राम्स के माध्यम से दर्ज हुईं।
सर्वाधिक संकट संबंधी मामले सऊदी अरब (3,049) से आए। इसके बाद यूएई (1,587), मलेशिया (662), अमेरिका (620), ओमान (613), कुवैत (549), कनाडा (345), ऑस्ट्रेलिया (318), ब्रिटेन (299) और कतर (289) का स्थान रहा।
मंत्री ने बताया कि भारत ने प्रवासी भारतीयों की शिकायतों के समाधान के लिए एक “मजबूत और बहु-स्तरीय तंत्र” स्थापित किया है, जिसमें इमरजेंसी हेल्पलाइन, वॉक-इन सुविधा, सोशल मीडिया और 24×7 बहुभाषी सहायता शामिल है। अधिकांश मामलों को सीधे संवाद, नियोक्ताओं से मध्यस्थता और विदेशी अधिकारियों के साथ समन्वय के माध्यम से शीघ्र सुलझा लिया जाता है।
कुछ मामलों में देरी की वजह अधूरी जानकारी, नियोक्ताओं का सहयोग न करना और अदालत में चल रहे मामलों में भारतीय मिशनों की सीमित भूमिका बताई गई। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास पैनल वकीलों के माध्यम से कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराते हैं, जिसके लिए इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड मदद करता है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र एवं कांसुलर कैंप लगातार मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं।