क्या भारत शांति का पक्षधर है? मोदी द्वारा ट्रंप की प्रशंसा पर बोले भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना

सारांश
Key Takeaways
- भारत की शांति की आकांक्षा
- पीएम मोदी का ट्रंप की प्रशंसा
- गुलाम अली खटाना का संगठनात्मक दृष्टिकोण
- महबूबा मुफ्ती का युवा मुद्दा
- स्थायी शांति की आवश्यकता
जम्मू, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'शांति प्रयासों' की सराहना की है, जिस पर भाजपा के राज्यसभा सांसद गुलाम अली खटाना ने समर्थन करते हुए कहा कि भारत हमेशा शांति की आकांक्षा रखता है।
भाजपा के राज्यसभा सांसद गुलाम अली खटाना ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भारत हमेशा मध्य पूर्व में शांति की स्थापना के लिए प्रयासरत रहा है।
यह उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि गाजा में शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति के लिए हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत स्थायी और न्यायसंगत शांति की दिशा में सभी प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।
भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने पार्टी के कोर ग्रुप मीटिंग में कहा कि मैं भाजपा का एक साधारण कार्यकर्ता हूं और भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। पार्टी अनेक कार्यक्रम आयोजित करती है और इसका कैडर सबसे बेहतरीन है, इसलिए नियमित बैठकें महत्वपूर्ण होती हैं।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के जेन-जी से संबंधित बयान पर उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी राजनीतिक पार्टी को जिंदा रखना है। जनता ने उन्हें किनारे कर दिया है। मीडिया में बने रहने के लिए वह कुछ भी कह सकती हैं।
महबूबा मुफ्ती ने 3 अक्टूबर को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि उत्तराखंड से लेकर लद्दाख और सीमा पार कश्मीर तक जेनरेशन जेड उभर रही है। क्योंकि जब भविष्य अंधकारमय लगता है और सपने चकनाचूर होते हैं, तो प्रतिरोध की कोई सीमा नहीं होती। ये युवा हैं जिन्होंने भविष्य के लिए मेहनत की, नियमों का पालन किया और उम्मीद की किरण थामे रखी।
हालांकि, अब वे अपने भविष्य के वादे को हाथ से जाता हुआ देख रहे हैं। वे केवल विरोध नहीं कर रहे हैं; बल्कि सत्ता का सामना सच्चाई के साथ कर रहे हैं, क्योंकि जिस व्यवस्था पर उन्हें विश्वास करने के लिए कहा गया था, उसी ने उन्हें निराश किया है। यह केवल शोर नहीं है; यह दिल टूटने का प्रतिरोध है। यह विद्रोह नहीं, बल्कि अस्तित्व की पुकार है। वे केवल वही मांग रहे हैं जो उनका अधिकार है—जवाबदेही, न्याय, अवसर, गरिमा। यह हमारे देश भारत और यहाँ तक कि पड़ोसी पाकिस्तान के लिए भी एक चेतावनी है।