क्या भारत-यूएई के बीच द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत-यूएई का द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर को पार कर गया है।
- सीईपीए के तहत तीसरी संयुक्त समिति की बैठक सफलतापूर्वक आयोजित हुई।
- दोनों देशों ने 2030 तक गैर-तेल व्यापार को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
- व्यापार सुगमता और नियामक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
- यूएई प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से व्यापार संतुलन मजबूत होगा।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारत और यूएई ने भारत-यूएई सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) के तहत संयुक्त समिति की तीसरी बैठक को सफलतापूर्वक आयोजित किया।
मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक की सह-अध्यक्षता वाणिज्य विभाग के अपर सचिव अजय भादू और यूएई के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कार्य सहायक अवर सचिव जुमा अल कैत ने की। दोनों देशों के बीच व्यापार वर्ष 24-25 में 100.06 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है, जो कि 19.6 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी को दर्शाता है। यह भारत के लिए यूएई को उसके विशेष व्यापार साझेदारों में से एक बनाता है।
दोनों पक्षों ने सीईपीए के अंतर्गत प्रगति की समीक्षा की और मार्केट एक्सेस से जुड़े मुद्दों, डेटा शेयरिंग, गोल्ड टीआरक्यू के आवंटन, एंटी-डमिंग मामलों, सेवाओं, रूल्स ऑफ ऑरिजिन, और बीआईएस लाइसेंसिंग पर विस्तार से चर्चा की। भारत ने यूएई को ट्रांसपेरेंट प्रतिस्पर्धी बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से गोल्ड टीआरक्यू आवंटित करने के हालिया फैसले के बारे में भी बताया।
बैठक में हाल ही में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों की समीक्षा की गई, जिनमें केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के विदेश व्यापार मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल जायौदी के बीच मुंबई और दुबई में हुई बैठकें शामिल हैं।
उन्हें 2030 तक गैर-तेल/गैर-कीमती धातु व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लक्ष्य की ओर अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई।
बैठक का समापन व्यापार सुगमता, नियामक सहयोग, डेटा साझाकरण को मजबूत करने और सेवा उपसमिति की बैठक आयोजित करने पर सहमति के साथ हुआ।
यूएई प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के साथ भी बैठक की, जहां दोनों पक्षों ने सीईपीए के बेहतरीन इस्तेमाल से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
यूएई प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा व्यापार संतुलन को मजबूत करने, बाजार के अवसरों का विस्तार करने और सीईपीए के तहत रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने की दिशा में दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।