क्या भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
- रक्षा उत्पादन में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- भारत लगभग 100 देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत किया जा रहा है।
- भारत में विदेशी निवेश के लिए अनुकूल नीति है।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। भारत का रक्षा उत्पादन पिछले वित्तीय वर्ष में 1.51 लाख करोड़ रुपये (लगभग 18 अरब डॉलर) तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे अधिक है और पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब डॉलर) तक पहुंच चुका है, और भारत अब लगभग 100 देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है। यह जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया में साझा की।
सिडनी में 10 अक्टूबर को पहली ‘इंडिया-ऑस्ट्रेलिया डिफेंस इंडस्ट्री बिजनेस राउंड टेबल’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राउंड टेबल केवल संवाद नहीं, बल्कि एक ऐसा घोषणा-पत्र है जो भारत और ऑस्ट्रेलिया को व्यवसाय, उद्योग और नवाचार के स्वाभाविक साझेदार के रूप में स्थापित करने का इरादा दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित हैं: सरकार से सरकार के बीच सहयोग, जन-से-जन का जुड़ाव, और व्यावसायिक हितों का सामंजस्य।
रक्षा मंत्री ने राउंड टेबल को संबोधित करते हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक, औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्रों में बढ़ते सामंजस्य को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि 2020 में स्थापित व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत, हम अपने रक्षा संबंधों को केवल भागीदारी से आगे बढ़ाकर एक सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सह-निर्माता के रूप में पुनर्स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने पिछले वर्षों में हुए कई उच्च-स्तरीय संवादों का उल्लेख किया, जिनसे द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। उन्होंने नवंबर 2024 का भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024 की 2 प्लस 2 मंत्री स्तरीय वार्ता, और जून 2025 में ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री की भारत यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों की नींव साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थागत समानताओं पर आधारित है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास ऑस्ट्रेलिया में बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, वहीं भारत में ऑस्ट्रेलियाई उपस्थिति बढ़ रही है। हालांकि रक्षा उद्योग साझेदारी के क्षेत्र में अभी भी अपार संभावनाएं बाकी हैं।” राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से एक परिवर्तनशील यात्रा पर है, विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र में।
उन्होंने कहा, “मैं इस फोरम को भारत और ऑस्ट्रेलिया को व्यापार और उद्योग में स्वाभाविक सहयोगी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता हूं। यह साझेदारी आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी और परस्पर हितकारी है।” उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया क्वांटम सिस्टम, स्वायत्त जल-निमग्न वाहन और उन्नत समुद्री निगरानी जैसी तकनीकों में अग्रणी है, जबकि भारत बड़े पैमाने पर विनिर्माण, सॉफ्टवेयर, जहाज निर्माण, मिसाइल तकनीक और अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी विशेष ताकत रखता है।
उन्होंने कहा, “यह राउंड टेबल रक्षा उद्योग में हमारी साझेदारी की अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए एक उत्प्रेरक साबित हो सकती है।” राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’, उत्पादन आधारित योजनाओं और डिजिटल परिवर्तन ने नवाचार और निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने एफडीआई नीति को उदार बनाया है, जिससे 74 प्रतिशत तक निवेश ऑटोमेटिक रूट से और उससे अधिक निवेश सरकारी अनुमति से किया जा सकता है, विशेषकर जब आधुनिक तकनीक शामिल हो।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को आमंत्रित करता है कि वे प्रोपल्शन तकनीक, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, फ्लाइट सिमुलेटर और एडवांस्ड मटेरियल्स जैसे उच्च-स्तरीय प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन में भाग लें। उन्होंने कहा कि ऐसे उपक्रम दोनों देशों के रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म तैयार करने में मदद करेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के पास जहाज निर्माण में मजबूत क्षमता, विविध विनिर्माण आधार और नवाचार करने वाले निजी क्षेत्र का बढ़ता पारिस्थितिकी तंत्र है।
उन्होंने कहा, “हमारे शिपयार्ड्स नौसेना के विभिन्न प्लेटफार्मों के निर्माण और रखरखाव में उत्कृष्ट अनुभव रखते हैं। भारतीय शिपयार्ड्स रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी और ऑस्ट्रेलिया के पैसिफिक मैरीटाइम सिक्योरिटी प्रोग्राम के तहत जहाजों के रिफिट, अपग्रेड और अन्य सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।” यह राउंड टेबल भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग, न्यूलैंड ग्लोबल ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनेस काउंसिल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी।