क्या भारतीय सेना की आत्मनिर्भर ड्रोन क्रांति भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए तैयार है?

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क्या भारतीय सेना की आत्मनिर्भर ड्रोन क्रांति भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए तैयार है?

सारांश

भारतीय सेना ने आत्मनिर्भरता के तहत भविष्य के युद्धों के लिए आधुनिक ड्रोन विकसित किए हैं। यह ड्रोन प्रणाली न केवल घातक क्षमता से लैस हैं, बल्कि इनका उपयोग विभिन्न सैन्य कार्यों में भी किया जा रहा है। जानें, कैसे ये ड्रोन भारतीय सेना की शक्ति को बढ़ा रहे हैं।

Key Takeaways

  • भारत की आत्मनिर्भरता: स्वदेशी ड्रोन सिस्टम के विकास से भारतीय सेना की शक्ति में वृद्धि।
  • तकनीकी नवाचार: ड्रोन प्रणाली में नवीनतम तकनीकों का समावेश।
  • सैन्य अभ्यास: 'एक्सरसाइज त्रिशूल' में ड्रोन का सफल परीक्षण।
  • भविष्य की तैयारी: आगामी युद्धों के लिए तैयारी के रूप में ड्रोन का महत्व।
  • साझेदारी: एमएसएमई और रक्षा उद्योग के साथ सहयोग।

नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना ने भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए अत्याधुनिक और स्वदेशी ड्रोन सिस्टम विकसित किए हैं। ये ड्रोन अपनी घातक मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके साथ ही, सेना ने निगरानी ड्रोन भी तैयार किए हैं। सेना वर्तमान में युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ के दौरान इन ड्रोन का सक्रिय रूप से उपयोग कर रही है।

वास्तव में, भारतीय सेना भविष्य के युद्धों को परिभाषित करने वाली तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। नई ड्रोन क्षमता में यह प्रगति भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें स्वदेशी नवाचार को प्राथमिकता दी गई है। सेना ईगल ऑन एवरी आर्म के सिद्धांत से प्रेरित होकर युद्धक ड्रोन विकसित कर रही है।

दक्षिणी कमान ने युद्धक ड्रोन के डिजाइन, विकास और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक सशक्त इन-हाउस इकोसिस्टम तैयार किया है। इस इकोसिस्टम में आत्मनिर्भरता को वास्तविक सैन्य शक्ति में परिणत किया जा रहा है। कॉर्प्स ऑफ ईएमई (इलेक्ट्रिकल एंड मकैनिकल इंजीनियर्स) की तकनीकी दक्षता और भारत के एमएसएमई भागीदारों के सहयोग से, दक्षिणी कमान के ड्रोन हब्स ने अगली पीढ़ी के मानवरहित हवाई तंत्र विकसित किए हैं।

ये अत्याधुनिक ड्रोन निगरानी, सटीक प्रहार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की भूमिकाओं के लिए अनुकूलित किए गए हैं। सेना के अनुसार, इन स्वदेशी ड्रोन प्रणालियों का फील्ड परीक्षण हाल ही में त्रि-सेवा अभ्यास ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ में किया गया। इस अभ्यास में इन ड्रोन प्रणालियों ने असाधारण सटीकता, सहनशीलता और मिशन फ्लेक्सिबिलिटी प्रदर्शित की।

यह प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना अब पूरी तरह से स्वदेशी प्रौद्योगिकी को अपने ऑपरेशनल फ्रेमवर्क में शामिल करने के लिए निर्णायक कदम उठा चुकी है। इन ड्रोन प्रणालियों की सफल वैलिडेशन ने भारतीय सेना की ‘टेक इनेबल, फ्यूचर रेडी फोर्स’ बनने की यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ा है।

दक्षिणी कमान अब केवल तकनीकी नवाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि देशी रक्षा उद्योगों के साथ साझेदारी, सैन्य नवाचार प्रयोगशालाओं और रणनीतिक अनुप्रयोगों के माध्यम से एकीकृत दृष्टिकोण अपना रही है। यह पहल न केवल सेना के तकनीकी आधुनिकीकरण का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम भी है।

यह प्रयास सुनिश्चित करता है कि भारत आने वाले वर्षों में ड्रोन युद्धक क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशंस में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बने। वहीं, सेना में प्रत्येक सैनिक को प्रौद्योगिकी की शक्ति से सशक्त बनाना है। भारतीय सेना का यह स्वदेशी ड्रोन कार्यक्रम अब भारत को उस दिशा में अग्रसर कर रहा है, जहां प्रौद्योगिकी, नवाचार और आत्मनिर्भरता एक साथ मिलकर एक सशक्त, सजग और भविष्य-तैयार सेना का निर्माण कर रहे हैं।

Point of View

मैं यह मानता हूँ कि भारतीय सेना की यह पहल न केवल हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर कर रही है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। तकनीकी नवाचार और स्वदेशी विकास के माध्यम से, हम एक सशक्त और सक्षम सेना का निर्माण कर रहे हैं।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय सेना के नए ड्रोन सिस्टम की विशेषताएँ क्या हैं?
भारतीय सेना के नए ड्रोन सिस्टम में घातक मारक क्षमता, निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमताएँ शामिल हैं।
इन ड्रोन का परीक्षण कब और कहाँ किया गया?
इन ड्रोन का परीक्षण हाल ही में त्रि-सेवा अभ्यास ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ के दौरान किया गया।
भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता का क्या महत्व है?
आत्मनिर्भरता हमारे देश की सुरक्षा और रक्षा उद्योग को मजबूत बनाती है, जिससे हम विदेशी निर्भरताओं को कम कर सकते हैं।