क्या भारतीय हैंडलूम उत्पाद का कार्बन उत्सर्जन बेहद कम है?

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क्या भारतीय हैंडलूम उत्पाद का कार्बन उत्सर्जन बेहद कम है?

सारांश

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारतीय हैंडलूम उत्पाद पावरलूम से 41 प्रतिशत कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं। यह रिपोर्ट पर्यावरण के प्रति जागरूकता को दर्शाती है। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर अधिक जानकारी!

Key Takeaways

  • हैंडलूम उत्पादों का कार्बन उत्सर्जन कम है।
  • ये उत्पाद पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं।
  • महिला बुनकरों का आर्थिक सशक्तिकरण होता है।
  • रिपोर्ट में हथकरघा उत्पादों की केस स्टडी दी गई है।
  • सस्टेनेबल कारीगरी का महत्व।

नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हैंडलूम उत्पाद पावरलूम की तुलना में 41 प्रतिशत कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं। पावरलूम, जो कि बिजली से चलने वाली मशीन है, हैंडलूम की बुनाई, रंगाई और पैकेजिंग से चार गुना अधिक कार्बन का उपयोग करती है।

गिरिराज सिंह ने 'हैंडलूम सेक्टर में कार्बन फुटप्रिंट आकलन' पर आधारित पुस्तक के लॉन्च कार्यक्रम में कहा, "विकसित देशों द्वारा किए गए कार्बन उत्सर्जन का असर सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा है, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। इस स्थिति में, भारत के कपड़ा मंत्रालय ने कार्बन फुटप्रिंट कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें सबसे पहली तुलना हैंडलूम और पावरलूम से की गई है।"

केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए लिखा, "आज उद्योग भवन में वस्त्र मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली की साझा स्टडी पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण किया गया।"

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि भारतीय हैंडलूम उत्पादों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव बेहद कम है और इनका कार्बन उत्सर्जन भी कम है। यह रिपोर्ट परंपरा और इको फ्रेंडली प्रैक्टिस का अद्भुत संतुलन दर्शाती है।

गिरिराज सिंह ने कहा, "हमें अपने बुनकरों की सस्टेनेबल कारीगरी पर गर्व है।"

आईआईटी दिल्ली के अनुसार, हथकरघा क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें 35 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें से 25 लाख से ज्यादा महिला बुनकर और संबद्ध श्रमिक शामिल हैं। यह क्षेत्र महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण ज़रिया है।

यह रिपोर्ट भारत भर के वास्तविक केस स्टडीज के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट मापने के सरल चरण प्रस्तुत करती है, जिसमें सूती चादरें, फर्श की चटाई, बनारसी साड़ियां और अन्य प्रसिद्ध हथकरघा उत्पाद शामिल हैं। इसमें हथकरघा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से तैयार की गई लागत-प्रभावी डेटा संग्रह और उत्सर्जन माप तकनीकों का भी विवरण दिया गया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

प्रो. बिपिन कुमार ने इस क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन को समझने और उन महत्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां प्रभावी शमन उपायों को लागू किया जा सकता है।

Point of View

भारतीय हैंडलूम उत्पादों का कार्बन उत्सर्जन बहुत कम है, जो कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है। यह रिपोर्ट न केवल हमारे पारंपरिक उद्योगों को सशक्त बनाती है, बल्कि महिला बुनकरों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी योगदान देती है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

हैंडलूम और पावरलूम में क्या अंतर है?
हैंडलूम एक पारंपरिक बुनाई विधि है, जबकि पावरलूम एक मशीन से चलने वाली बुनाई विधि है।
भारतीय हैंडलूम उत्पादों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव है?
भारतीय हैंडलूम उत्पादों का कार्बन उत्सर्जन बेहद कम है, जिससे ये पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं।
इस रिपोर्ट में क्या विशेष जानकारी दी गई है?
इस रिपोर्ट में कार्बन फुटप्रिंट मापने के सरल चरण और हथकरघा उत्पादों की केस स्टडीज शामिल हैं।