क्या बीएचयू ने 108 वर्षों में पहली बार उद्योग जगत को कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की?

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क्या बीएचयू ने 108 वर्षों में पहली बार उद्योग जगत को कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की?

सारांश

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने एचयूएम 27 नामक नई मूंग दाल की किस्म विकसित की है, जो किसानों को तीन फसलों का लाभ देने में सक्षम है। इस किस्म की तकनीक को उद्योग जगत को हस्तांतरित किया गया है, जो विश्वविद्यालय के 108 वर्षों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

Key Takeaways

  • एचयूएम 27 मूंग दाल की नई किस्म है।
  • किसान तीन फसलों का लाभ उठा सकते हैं।
  • यह उच्च तापमान में कम पानी के साथ उगाई जा सकती है।
  • बीएचयू ने पहली बार तकनीक का हस्तांतरण किया है।
  • इसका विकास कृषि अनुसंधान में एक मील का पत्थर है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने एचयूएम 27 नामक एक नई किस्म की मूंग दाल का विकास किया है। इसकी उपज गेहूं और धान की बुवाई के बीच के खाली समय में प्राप्त की जा सकती है, जिससे यह किसानों को तीन फसलों का लाभ देती है। यह किस्म, जो उच्च तापमान और कम पानी में 1 हेक्टेयर में लगभग 18 कुंतल पैदवार देने में सक्षम है, किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वसंत और ग्रीष्मकालीन मौसम में खेती के लिए उपयुक्त है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कृषि प्रौद्योगिकी को उद्योग जगत को हस्तांतरित किया गया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 108 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार है जब इस प्रकार की प्रौद्योगिकी को उद्योग के हवाले किया गया है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य सामान्य जन की भलाई के लिए अपनी रिसर्च को समाज तक पहुंचाना है।

इसमें, विश्वविद्यालय ने मूंग की उच्च गुणवत्ता वाली इस किस्म की प्रौद्योगिकी को हस्तांतरित किया है। बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों ने इस नई उच्च उत्पादकता वाली किस्म को विकसित किया है। एचयूएम 27 (मालवीय जनक्रांति) नामक इस मूंग दाल की किस्म के लिए स्टार एग्री-सीड्स प्रा. लि., श्रीगंगानगर, राजस्थान, को प्रयोग हेतु लाइसेंस दिया गया है।

सोमवार को विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और स्टार एग्री-सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी की उपस्थिति में कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह और स्टार एग्री-सीड्स में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एमओयू का आदान-प्रदान भी किया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, इस समझौते के तहत कृषि विज्ञान संस्थान के जेनेटिक्स एवं पादप प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार सिंह के शोध समूह द्वारा अगले पांच वर्षों तक इस किस्म के बीजों की आपूर्ति की जाएगी।

कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि जब तकनीक समाज तक पहुंचेगी, तभी यह स्पष्ट होगा कि शोध की दिशा क्या होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग जगत की भूमिका इस तकनीक को समाज तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में और अधिक उद्योग साझीदार बीएचयू द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए आगे आएंगे। पहली बार कृषि के क्षेत्र में तकनीक के हस्तांतरण के लिए कुलपति ने कृषि विज्ञान संस्थान को शुभकामनाएं दीं। स्टार एग्री-सीड्स के डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि बीएचयू द्वारा नई किस्में विकसित की जा रही हैं, और उनकी संस्था इन किस्मों को किसानों तक पहुंचाने का कार्य करेगी।

डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि गेहूँ और धान की बुवाई के बीच के खाली समय में यह किस्म की पैदावार की जा सकती है। इससे किसानों को तीन फसलों का लाभ मिल सकेगा। यह किस्म उच्च तापमान में कम सिंचाई के साथ भी 1 हेक्टेयर में लगभग 18 कुंतल पैदवार दे सकती है। डॉ. अनिल ने बताया कि मूंग की यह किस्म उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में वसंत/ग्रीष्मकालीन मौसम में खेती हेतु उपयुक्त है।

फसल की विशेषताओं के बारे में बताते हुए डॉ. अनिल ने कहा कि यह बोल्ड एवं चमकदार हरे दाने वाली किस्म है। 5 ग्राम में या 100 बीजों में 28.9 प्रतिशत उच्च प्रोटीन होते हैं। पौधे की ऊंचाई 44 सेमी तक होती है और यह 62 से 76 दिन की कम अवधि में ही परिपक्व हो जाते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो. बिरंची सरमा ने बताया कि यह किस्म वर्ष 2023 में भारत सरकार की केंद्रीय उप-समिति, नई दिल्ली द्वारा जारी की गई थी। ग्रीष्मकालीन बुवाई के लिए उपयुक्त मूंग की किस्मों की देशभर में अधिक मांग है, और एएचयूएम 27 किसानों की पहली पसंद बन रही है। उन्होंने बताया कि बीएचयू द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी को समाज तक ले जाने के लिए प्रकोष्ठ निरंतर प्रगति कर रहा है।

Point of View

बल्कि यह देश की खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ावा देता है। बीएचयू की यह पहल उद्योग और अनुसंधान के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम करेगी। यह प्रयास न केवल स्थानीय कृषि को सशक्त करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय कृषि को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

एचयूएम 27 किस प्रकार की मूंग दाल है?
एचयूएम 27 एक नई किस्म की मूंग दाल है, जो उच्च उत्पादकता और कम पानी में उगाई जा सकती है।
यह मूंग दाल किस मौसम में उपयुक्त है?
यह मूंग दाल मुख्यतः वसंत और ग्रीष्मकालीन मौसम में उपयुक्त है।
इसकी उपज कितनी होती है?
यह किस्म 1 हेक्टेयर में लगभग 18 कुंतल पैदवार दे सकती है।
यह किस राज्यों में उगाई जा सकती है?
यह मूंग दाल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उगाई जा सकती है।
बीएचयू ने इसे उद्योग को क्यों हस्तांतरित किया?
बीएचयू का उद्देश्य अपनी अनुसंधान成果 को समाज और उद्योग के लाभ के लिए उपलब्ध कराना है।
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