क्या बिहार में भाकपा (माले) ने अतिक्रमण हटाओ अभियान को 'बुलडोजर राज' कहा?
सारांश
Key Takeaways
- भाकपा (माले) ने अतिक्रमण हटाने के खिलाफ विरोध किया।
- राज्यभर में प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं।
- नेताओं ने सरकार से बुलडोजर पर रोक लगाने की मांग की।
- आर्थिक कमजोर वर्ग के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता है।
पटना, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में नई सरकार के गठन के बाद, राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमण के नाम पर दलितों, गरीबों, छोटे व्यवसायियों और फुटपाथ दुकानदारों के खिलाफ चल रहे बुलडोजर के खिलाफ बुधवार को भाकपा (माले) और व्यवसायी महासंघ के बैनर तले पूरे राज्य में प्रतिवाद किया गया।
पटना में विधानसभा के सामने गर्दनीबाग धरनास्थल पर धरना आयोजित किया गया। इसके साथ ही आरा, बक्सर, गया, दरभंगा, बेगूसराय, नवादा, जहानाबाद, सिवान, अरवल, मोतिहारी सहित विभिन्न जिलों में मार्च निकाले गए और सरकार को चेतावनी दी गई कि वह तुरंत बुलडोजर पर रोक लगाए।
पटना के धरने में पूर्व विधायक महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, एमएलसी शशि यादव, काराकाट विधायक अरुण सिंह, और दिव्या गौतम जैसी कई प्रमुख हस्तियों ने धरना को संबोधित किया। महबूब आलम ने कहा कि बिहार की सरकार में अब भाजपा का वर्चस्व है। सम्राट चौधरी ने गृह मंत्रालय का पद संभालते ही आम जनता पर बुलडोजर चलवा दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह अविलंब बुलडोजर पर रोक लगाए और सभी जरूरतमंदों के लिए आवास की व्यवस्था करे।
विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि चुनाव से पहले 10 हजार का घूस दिया गया और अब बुलडोजर से हमला हो रहा है। हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। बिहार के गरीब अपने अधिकारों के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ेंगे।
एमएलसी शशि यादव ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा, जदयू चुनाव जीतने से अहंकार में न रहे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को झांसा देकर इस चुनाव को जीता गया है। उन्हें दलितों और गरीबों पर बुलडोजर चलाने का लाइसेंस नहीं मिल सकता। पूरे बिहार में इसका जोरदार प्रतिवाद होगा। दीघा विधानसभा से प्रत्याशी रही दिव्या गौतम ने कहा कि बुधवार को पटना शहर में अतिक्रमण के नाम पर हर जगह शहरी गरीबों को उजाड़ा जा रहा है। चुनाव समाप्त होने के बाद भाजपा और जदयू के लोग अपने असली रंग में आ चुके हैं। हम चुनाव भले हार गए हों, जनता के मुद्दों पर लड़ाई जारी रखेंगे।