क्या बिहार चुनाव 2025 में नवादा सीट पर दल बदलकर आए उम्मीदवारों का असर पड़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- नवादा विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास में कई बदलाव आए हैं।
- 2015 और 2020 में राजद ने सीट जीती, जबकि 2019 में जदयू ने विजय प्राप्त की।
- इस बार कई उम्मीदवार दल बदलकर आए हैं, जो चुनावी समीकरण को बदल सकते हैं।
- नवादा में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कई स्थल हैं।
- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में राजद और जदयू के बीच कड़ी टक्कर है।
पटना, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नवादा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के बिहार राज्य के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह नवादा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है। नवादा की राजनीति हमेशा से रोचक रही है। जनता ने अक्सर बदलाव को प्राथमिकता दी है, चाहे वह राजनीतिक दल हों या फिर नेता।
इससे हम यह समझ सकते हैं कि 1952 में स्थापित नवादा विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए 19 चुनावों में कांग्रेस केवल 6 बार ही जीत पाई है। उसे आखिरी बार 1985 में जीत मिली। इसके बाद 1990 में भाजपा को पहली बार विजय प्राप्त हुई। हालांकि, भारतीय जनसंघ के तौर पर 1962 और 1969 में दो बार जीत हासिल की थी।
पिछले 25 वर्षों के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां राजद और जदयू के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रही है। 2015 में यह सीट राजद के पास गई, लेकिन 2019 के उपचुनाव में जदयू के कौशल यादव विजयी हुए। इसके बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नवादा की जनता ने फिर से राजद को यह सीट दी।
दिलचस्प यह है कि 2020 में राजद के टिकट पर जीतने वाली विभा देवी इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि 2019 में जदयू के प्रत्याशी के रूप में उपचुनाव जीतने वाले कौशल यादव अब राजद के उम्मीदवार हैं। नवादा में इस बार कुल 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
नवादा खुरी नदी के दोनों किनारों पर बसा है। सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नवादा में कई प्रमुख स्थल हैं। श्री गुनावां जी तीर्थ नवादा के गोनावां गांव में स्थित है। यह प्राचीन मंदिर भगवान महावीर के समय का है और जैन मुनि गंधर्व स्वामी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध यहां आए थे और इंद्रासल गुफा में निवास किया था।
नवादा के नारदीगंज प्रखंड के हंडिया गांव में स्थित सूर्य नारायण धाम मंदिर काफी प्राचीन है। यह उन ऐतिहासिक सूर्य मंदिरों में से एक है जो लोगों की आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। एक तालाब मंदिर के पास स्थित है, जिसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग मिटने की मान्यता है।
बुधौली मठ और 52 कोठी 53 द्वार नवादा के पकरीबरांवा प्रखंड के बुधौली पंचायत के बुधौली गांव में स्थित हैं। यह मुख्य रूप से धर्म, अध्यात्म और ज्ञान दर्शन का केंद्र रहा है।
बुधौली मठ 1800 ईस्वी का बना हुआ है। इस मध्य में एक सुंदर दुर्गा मंडप है, जहां प्रत्येक नवरात्र को देवी की आराधना होती है। 52 कोठी 53 द्वार शिक्षा और धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जिले में अपनी खास पहचान रखते हैं।