क्या बिहार चुनाव 2025 में रामगढ़ सीट पर राजद और भाजपा का मुकाबला बराबरी पर है?
सारांश
Key Takeaways
- राजद और भाजपा के बीच मुकाबला बेहद रोचक है।
- रामगढ़ में पिछले चार चुनावों में दोनों पार्टियों ने जीत का आनंद लिया है।
- जनता के विकास कार्यों और वादों का असर चुनाव परिणामों पर होगा।
- बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दे इस बार चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- इस सीट की जनसंख्या 479213 है, जिसमें 286371 मतदाता हैं।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की रामगढ़ विधानसभा सीट कैमूर जिले के अंतर्गत आती है। इस सीट की विशेषता यह है कि पिछले चार चुनावों में कभी राजद के उम्मीदवार ने लालटेन जलाया तो कभी भाजपा के उम्मीदवार ने कमल खिलाया।
पिछले चार चुनावों में दो बार राजद और दो बार भाजपा के उम्मीदवारों ने जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया है। साल 2024 के उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। इस बार चुनावी मैदान में भाजपा-राजद के अलावा कई अन्य पार्टियां भी हैं, लेकिन असली टकराव तो भाजपा और राजद के उम्मीदवारों के बीच ही है।
भाजपा ने 2024 के उपचुनाव में कमल खिलाने वाले अशोक सिंह पर भरोसा जताया है। वहीं राजद ने अजीत सिंह को टिकट दिया है। साल 2024 में बीएसपी का उम्मीदवार दूसरे, जबकि राजद का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा था।
यह सीट उपचुनाव इसलिए हुई थी, क्योंकि 2020 में यहां से विधायक सुधाकर सिंह ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया। विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई, जिस पर उपचुनाव हुए थे। हालांकि, राजद इस सीट को बचाने में सफल नहीं हो पाई और भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने चुनाव जीतकर विधानसभा में स्थान प्राप्त किया।
वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की, जबकि 2010 में राजद का दबदबा था।
इस बार भाजपा के प्रत्याशी जहां डबल इंजन सरकार के 20 साल के विकास कार्यों को लेकर हैं, वहीं राजद के प्रत्याशी हर घर सरकारी नौकरी दिलाने के वादे के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं।
इस विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 479213 है। चुनाव आयोग के अनुसार, इस सीट पर कुल मतदाता 286371 हैं, जिसमें पुरुष 148410, महिलाएं 137959 और थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 2 है।
रामगढ़ एक पिछड़ा ग्रामीण क्षेत्र है, जहां बेरोजगारी और पलायन प्रमुख समस्याएं हैं। यहां के लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन बाढ़ जैसी आपदाओं ने किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। यहां के लोग बेरोजगारी की वजह से बिहार से पलायन कर रहे हैं। यहां की जनता को उम्मीद है कि बिहार की नई सरकार उनकी विधानसभा में विकास करेगी।