क्या वारिसनगर सीट पर बड़े दलों के लिए नई चुनौती है?

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क्या वारिसनगर सीट पर बड़े दलों के लिए नई चुनौती है?

सारांश

क्या वारिसनगर विधानसभा सीट पर बड़े दलों की चुनौती बढ़ रही है? जानिए इस क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के बारे में।

Key Takeaways

  • वारिसनगर की उपजाऊ भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है।
  • लोजपा ने 2020 में महत्वपूर्ण वोट हासिल किए।
  • राजद और भाजपा का प्रभाव क्षेत्र में कम हो रहा है।
  • कृषि और डेयरी उद्योग क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हैं।

पटना, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के समस्तीपुर जिले में बसा वारिसनगर क्षेत्र केवल अपनी उपजाऊ मिट्टी के लिए ही नहीं, बल्कि इसके अनोखे राजनीतिक इतिहास के लिए भी जाना जाता है। यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जो वर्षों से क्षेत्रीय दलों का गढ़ बनी हुई है।

यह प्रखंड समस्तीपुर जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 108 किलोमीटर दूर है।

वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 1951 में हुआ था, जिसमें वारिसनगर और खानपुर के दो पूरे प्रखंडों के साथ-साथ शिवाजी नगर प्रखंड की छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

इस सीट पर कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दिलचस्प यह है कि बिहार के दो सबसे बड़े दल, राजद और भाजपा, इस क्षेत्र में लगभग गुमनाम हो चुके हैं।

लगातार चार चुनावों में हार के बाद, राजद ने 2010 से यहां चुनाव लड़ना बंद कर दिया और गठबंधन के सहयोगियों को समर्थन देने का निर्णय लिया।

अक्टूबर 2005 की दूसरी हार के बाद, भाजपा ने भी इसी रणनीति को अपनाते हुए जदयू और लोजपा जैसे सहयोगी दलों का समर्थन करना शुरू किया।

कांग्रेस, जिसने केवल 1972 में एक बार जीत हासिल की थी, लगातार हार के कारण चुनावी परिदृश्य से बाहर हो गई।

वाम दलों में सीपीआई ने भी लगातार असफलता के कारण इस सीट से हटने का निर्णय लिया।

वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) 2010 से इस सीट पर काबिज हैं। हालांकि, उनकी जीत का अंतर लगातार कम होता जा रहा है।

2015 में उनका जीत का अंतर 58,573 था, जबकि 2020 में यह घटकर सिर्फ 13,801 वोट रह गया।

इस अंतर के घटने का मुख्य कारण लोजपा की तीसरे दल के रूप में मौजूदगी थी, जिसने 2020 में 12.60 प्रतिशत वोट हासिल किए। इन वोटों ने जदयू के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई।

गंगा के मैदानी क्षेत्र में बसा वारिसनगर प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। पास की कमला और कोसी नदियों के कारण यहां की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है। यही कारण है कि यहां की करीब 60 से 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूं, मक्का और दालें यहां के मुख्य उत्पाद हैं।

आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियां बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। वारिसनगर प्रखंड का रोहुआ गांव विशेष रूप से तंबाकू की खेती के लिए प्रसिद्ध है।

कृषि के अतिरिक्त, डेयरी उद्योग भी वारिसनगर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वारिसनगर सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण के तहत चुनाव आयोजित होंगे और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी।

Point of View

चुनावी रणनीतियों में बदलाव की आवश्यकता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

वारिसनगर विधानसभा सीट का चुनाव कब होगा?
वारिसनगर विधानसभा सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण के चुनाव होंगे और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी।
इस सीट पर किस समुदाय का प्रभाव है?
इस सीट पर कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं।
कौन वर्तमान विधायक हैं?
वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) हैं, जो 2010 से इस सीट पर काबिज हैं।