क्या पंजाब और हरियाणा में दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता गंभीर हो गई?

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क्या पंजाब और हरियाणा में दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता गंभीर हो गई?

सारांश

दीपावली के बाद, पंजाब और हरियाणा में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गई है। चंडीगढ़ जैसे शहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय बन गया है। जानें, क्या हैं इसके कारण और क्या हो रहे हैं इसके परिणाम।

Key Takeaways

  • दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता गंभीर हुई।
  • पराली जलाने को प्रदूषण का मुख्य कारण माना गया।
  • चंडीगढ़ में एक्यूआई का स्तर 146 तक पहुंच गया।
  • पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं।
  • प्रदूषण का प्रभाव दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचता है।

चंडीगढ़, 21 अक्टूबर (आईएनएस)। दीपावली के पावन पर्व के बाद दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के अधिकांश इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई। मंगलवार को हवा की स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि इसे 'गंभीर' और 'खतरनाक' श्रेणी में रखा गया।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के अनुसार, चंडीगढ़ में हवा की गुणवत्ता 'खराब' रही, जहां एक्यूआई 146 दर्ज किया गया। एक्यूआई का स्तर 0-50 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'मध्यम', 201-300 'खराब', 301-400 'बहुत खराब', 401-450 'गंभीर' और 450 से ऊपर 'गंभीर प्लस' माना जाता है।

पंजाब के लुधियाना में एक्यूआई 209, अमृतसर में 225, जालंधर में 198, बठिंडा में 242 और पटियाला में 233 दर्ज किया गया। दूसरी ओर, हरियाणा में, जो एक कृषि प्रधान राज्य है, वहां फरीदाबाद में 247, सोनीपत में 343, करनाल में 201, भिवानी में 328, जींद में 247 और चरखी दादरी में 279 दर्ज किया गया।

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण माना जाता है, जिसका प्रभाव दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचता है।

हालांकि, इस वर्ष दोनों राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं पिछले वर्ष की तुलना में कम हुई हैं।

पंजाब में सोमवार को 45 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस सीजन में 19 अक्टूबर को दर्ज 67 घटनाओं से कम हैं।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, तरनतारन और अमृतसर जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए।

हरियाणा में 17 अक्टूबर तक 30 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह संख्या 601 थी।

साल 2023 में 546, 2022 में 330 और 2021 में 1,026 मामले सामने आए, जो दर्शाता है कि पराली जलाने की प्रथा में निरंतर कमी आई है। जींद में सबसे अधिक नौ मामले, सिरसा और सोनीपत में चार, फरीदाबाद में तीन और कैथल, पानीपत, यमुनानगर में दो मामले दर्ज हुए।

प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि चंडीगढ़ में एक्यूआई में वृद्धि का कारण पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवाएं हैं, जो इन क्षेत्रों में प्रदूषण को लेकर आती हैं। दिल्ली-एनसीआर में भी पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ना अब आम बात हो गई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि प्रदूषण की समस्या केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े क्षेत्रों पर भी पड़ता है। हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता क्यों खराब हुई?
दीपावली के बाद पराली जलाने की घटनाएं और धुएं के कारण हवा की गुणवत्ता गंभीर हो गई है।
एक्यूआई के स्तर का क्या मतलब है?
एक्यूआई का स्तर बताता है कि हवा की गुणवत्ता कितनी अच्छी या खराब है।
क्या पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं?
हां, इस वर्ष पराली जलाने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में कम हुई हैं।